December 23, 2024
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“इंदौर में 475 से ज़्यादा निजी कालोनियों में टाउन एंड कंट्री प्लानिंग के फर्जी नक्शे लगाकर बिना ग्रिड के पावर सप्लाई ट्रांसफ़ॉर्मर से दी गई”
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इंदौर,मध्यप्रदेश पश्चिम विघुत वितरण कंपनी के भ्रष्ट अधिकारियों ने निजी कालोनीनाइजर के साथ मिलकर 1000 करोड़ से ज़्यादा का पावर ग्रिड घोटाला किया हैं।
मध्यप्रदेश पश्चिम विघुत वितरण कंपनी की एमडी रजनी सिंह से मिलकर लिखित में शिकायत की हैं।
इंदौर में पिछले दस वर्षों में लगभग 475 से ज़्यादा निजी कालोनी जिनका क्षेत्रफल 8 हेक्टेयर से ज़्यादा हैं।इन कालोनियों में टाउन एंड कंट्री प्लानिंग द्वारा स्वीकृत नक्क्षों में पावर सप्लाई हेतु ग्रिड बनाने की भूमि चिह्नित की गई थी।
लेकिन विघुत विभाग द्वारा भ्रष्टाचार करके संबंधित कालोनियों में बिना ग्रिड ही ट्रांसफ़ॉर्मर लगाकर पावर सप्लाई प्रदान कर दिया गया है।
इस गंभीर भ्रष्टाचार से कालोनी डेवलपर को बड़ा फ़ायदा दिया गया हैं।ग्रिड बनाने का सारा खर्च बचाने के साथ ग्रिड के लिए आरक्षित भूमि को अवैध रूप से प्लॉट बनाकर विक्रय कर दिया गया हैं।
इस वजह से इंदौर में लगातार लाईट ट्रिप होने की समस्या विकराल रूप धारण कर रहीं हैं।
विघुत मंडल का ग्रिड स्वीकृति एंव अवैध फ़र्ज़ी नक्क्षों के आधार बिना ग्रिड पावर सप्लाई करने की अनुमति प्रदान करने का दोषी हैं।
पूर्व में भी सूचना के अधिकार में विघुत मंडल से इंदौर में पिछले दस वर्षों में निजी कालोनियों में बिना ग्रिड पावर सप्लाई करने की सूची मॉंगी गई थी लेकिन आज तक विभाग ने उपलब्ध नहीं करायी हैं।
कालोनी सेल मंडल में रहें शिवलाल कलवाढिया,धीरज सोने,कामेश श्रीवास्तव,बी.एन. चौहान,पवन जैन,बामनके दुसाने अधिकारियों ने
सुनियोजित षड्यंत्र रचकर निजी कालोनी डेवलपर के साथ विघुत मंडल के इंजीनियरों एंव अधिकारियों ने जमकर भ्रष्टाचार किया हैं। शिकायतकर्ताओं ने मांग की है कि स्पेशल टॉस्क फ़ोर्स बनाकर 8 हेक्टेयर से ज़्यादा भूमि पर निर्मित कालोनियों में बिना ग्रिड पावर सप्लाई की जॉंच कराने पर करोड़ों का भ्रष्टाचार उजागर होगा।
इस संदर्भ में सबूतों सहित लोकायुक्त एंव आर्थिक अपराध शाखा में पिछले दस वर्षों में पदस्थ अधिकारियों के खिलाफ नामज़द शिकायत शपथपत्र सहित दर्ज कराने की कार्यवाही की जा रहीं हैं।
उल्लेखनीय हैं की बिना ग्रिड पावर सप्लाई 8 हेक्टेयर से अधिक भूमि की कालोनियों में देने वाले दस्तावेज की जॉंच में टाउन एंड कंट्री प्लानिंग के द्वारा स्वीकृत नक़्शों की जगह ले आउट के छोटे छोटे पार्ट करके फर्जी नक़्शों को विघुत मंडल की फाइलों में लगाकर विघुत मंडल के अधिकारियों की मिलीभगत से फर्जी दस्तावेजों के आधार कराकर पावर सप्लाई बिना ग्रिड बनाये ही शुरू कर दी हैं।

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