सिटी टुडे। मप्र के सागर में ट्रेन में चोरी के मामले में 55 हजार रुपए की रिश्वत लेकर असली आरोपी को छोड़कर भीख मांगने वाले गरीब को गुनहगार बनाने वाले जीआरपी के प्रधान आरक्षक समेत दो आरक्षक और एक महिला को अदालत ने सजा सुनाई है। प्रकरण की सुनवाई विशेष न्यायाधीश, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम सागर आलोक मिश्रा की कोर्ट में हुई।
न्यायालय ने सुनवाई करते हुए मामले के आरोपी प्रधान आरक्षक अशोक पटेल को दोषी पाते हुए 3 वर्ष के कारावास व 20 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है। मामले के अन्य आरोपी रामप्रवेश यादव, चंद्रेश दुबे और आरोपी मधु त्यागी को भी कोर्ट ने 3-3 वर्ष के सश्रम कारावास और 10-10 हजार रुपए जुर्माने से दंडित किया है। मामले में शासन की ओर से प्रकरण में पैरवी अतिरिक्त जिला अभियोजन अधिकारी शिवसंजय और सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी श्याम नेमा ने की।
आईपीएस अधिकारी का ट्रेन से हुआ था मोबाइल चोरी
अभियोजन के मीडिया प्रभारी के अनुसार आईपीएस अधिकारी ईशा पंत का भोपाल एक्सप्रेस में यात्रा के दौरान पर्स चोरी हो गया था। पर्स में उनका मोबाइल, पासपोर्ट और अन्य सामान था। मामले की रिपोर्ट आईपीएस अधिकारी ने जीआरपी हबीबगंज रेलवे स्टेशन में कराई। अपराध दर्ज कर मामले की जांच प्रधान आरक्षक आरोपी अशोक पटेल को सौंपी गई। अशोक पटेल ने अपने हमराह स्टाफ रामप्रवेश यादव और चंद्रेश दुबे के साथ मिलकर एक निर्दोष व्यक्ति अमीन को आरोपी बनाकर पेश कर दिया। अशोक पटेल ने अमीन से नोकिया कंपनी का मोबाइल और रुपए जब्त कर पंचनामा बनाया। साक्षी सगीर व आरक्षक रामप्रवेश के समक्ष अमीन को गिरफ्तार कर गिरफ्तारी पंचनामा बनाया गया। अमीन के खिलाफ 26 अगस्त 2011 को जेएमएफसी बीना के न्यायालय में अभियोग पत्र पेश किया गया। जिसमें अमीन ने अपराध अस्वीकार किया। जिसके बाद उसका विचारण शुरू किया गया।
सीडीआर रिपोर्ट के आधार पर चोरी गया मोबाइल मधु त्यागी उपयोग कर रही थी। लेकिन सिम दीपक चौधरी के नाम पर थी। मामले में संदेह पर दीपक से पूछताछ की गई। उसने बताया कि उसके नाम पर सिम मधु त्यागी चला रही है। वह पूर्व की दोस्त है। मधु के मुंहबोले पिता भूपाल का मेरे पास फोन आया था कि मोबाइल चोरी करने वाला लड़का पकड़ा गया और तुम पुलिस को यही बताना जो प्रधान आरक्षक अशोक पटेल को बताई थी। दीपक के बयानों से संदेह सबूत में बदल गया।
आरोपियों को बचाने लिए थे 55 हजार रुपए
मामले में पुलिस ने आरोपी मधु त्यागी से पूछताछ की तो उसने बताया कि मुझे यह मोबाइल भूपाल सिंह (मुंहबोले पिता) ने दिया था। भूपाल को पुलिस ने तलाश किया तो वह भोपाल जेल में बंद था। पुलिस ने प्रोडक्शन वारंट पर भूपाल को अभिरक्षा में लिया और पूछताछ की। उसने बताया कि 5 जुलाई 2011 को भोपाल एक्सप्रेस के एसी कोच से महिला का पर्स चोरी किया था। जिसमें मिला मोबाइल मधु त्यागी को दिया था। मोबाइल तलाश करते हुए बीना जीआरपी से प्रधान आरक्षक अशोक पटेल अपने साथियों के साथ मधु के पास पहुंचे। जहां उन्होंने मधु और मुझे बचाने के एवज में 55 हजार रुपए लिए। चोरी का मोबाइल व नकद साथ ले गए।
पन्नी बीनने वाले युवक को बना दिया चोर
मामले में प्रधान आरक्षक आरोपी अशोक ने आगरा पहुंचकर निर्दोष अमीन को गिरफ्तार किया और चोरी के मामले में आरोपी बना दिया। इसके अलावा 19 अगस्त 2012 को दिए मेमोरेंडम में आरोपी भूपाल सिंह ने यह भी बताया था कि वह अपने साथी भाउ व आकाश के साथ रात में रेलवे स्टेशन जाकर ट्रेनों में चोरियां कर सामान बिकवाते है। वहीं अमीन ने पूछताछ में बताया कि उसने कोई चोरी नहीं की है। जबरदस्ती मुझे आरोपी बनाया गया है। मामले में मिले साक्ष्यों के आधार पर बीना जीआरपी ने प्रधान आरक्षक अशोक पटेल, आरक्षक रामप्रवेश यादव और चंद्रेश दुबे के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया गया। जांच पूरी होने पर चालान कोर्ट में पेश किया गया। अभियोजन ने मामले से जुड़े साक्ष्य, दस्तावेज और गवाह न्यायालय में पेश किए। कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुनाते हुए जीआरपी के प्रधान आरक्षक आरोपी अशोक पटेल, दो आरक्षक और आरोपी महिला को सजा सुनाई है।