
ग्वालियर में पारले-जी बिस्कुट कंपनी में महाप्रबंधक स्वर्गीय मिश्रा की हत्या के बाद आंदोलन को उग्ररूप देने वाले मुन्नालाल गोयल ने राजनीति में कदम साइकिल पर सवार होकर रखा था। विधानसभा चुनाव लड़े, 2013 विधानसभा चुनाव में भी वर्तमान भाजपा प्रत्याशी माया सिंह से मात्र 1600 वोट से हर का मुंह सामना करने वाले मुन्नालाल गोयल केंद्रीयमंत्री श्री सिंधिया के खेमे से कांग्रेस में आने के बाद 2018 में प्रत्याशी बनने के साथ चुनाव भी जीत गये परंतु सिंधिया द्वारा किसान तथा जनहित के मुद्दों पर अपनी ही सरकार में संघर्ष करते-करते दल बदल कर लिया तब मुन्नालाल गोयल विधायक के रूप में श्री सिंधिया के साथ दल बदल में शामिल होकर भाजपा में आने के बाद उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी के पूर्व सक्रिय नेता वर्तमान कांग्रेस विधायक डॉ सतीश सिंह सिकरवार से चुनाव हार गए परंतु सिंधिया के दबाव में मुन्नालाल गोयल को निगम का अध्यक्ष बनाकर कैबिनेट मंत्री का दर्जा दे दिया गया। भाजपा प्रत्याशी बनने की चाह में ग्वालियर पूर्व से सक्रिय मुन्नालाल गोयल को अब जब संगठन ने प्रत्याशी न बनाकर पूर्व मंत्री तथा पूर्व महापौर माया सिंह को प्रत्याशी बनाया तो महल के इतिहास में पहली बार मुन्नालाल गोयल के नेतृत्व में समर्थको ने महल में उग्ररूप लेकर नारेबाजी करने के साथ ही विरोध प्रकट किया।
इस घटना के कुछ घंटे बाद ही मुन्नालाल गोयल ने स्पष्ट किया हमारे नेता श्री सिंधिया है तथा हम भाजपा को जिताने का काम करेंगे उसके बाद गोयल के निवास पर समर्थको की बैठक से अनुमान लगाया जा रहा था मुन्नालाल गोयल चुनावी रण में कूदेंगे परंतु ऐसा नहीं हुआ क्योंकि भाजपा प्रत्याशी की सुनिश्चित जीत के लिए खुद श्री सिंधिया मुन्नालाल गोयल के निवास पर पहुंचकर गोयल को समझाने में सफल रहे।
इसके बावजूद भी समाचार लिखे जाने तक श्री गोयल यह तो कहते हैं हमारे नेता श्री सिंधिया है तथा हम भाजपा प्रत्याशी माया सिंह को जिताने के लिए काम करेंगे इसके बावजूद भी मुन्नालाल अपने समर्थक कार्यकर्ताओं के साथ शांत रहकर माया सिंह के जनसंपर्क से ही नही मतदाताओं से भी दूरी बनाकर रखे हुए हैं, सूत्रोअनुसार मुन्नालाल गोयल का एक अपना अलग वोट बैंक है उस वोट बैंक को वे अंतिम समय पर किस दिशा में ले जाएंगे यह अभी कोई स्पष्ट नहीं है। कुछ गोयल समर्थको ने नाम न उजागर करने की शर्त पर बताया कि कुछ भी हो हम तो भाजपा प्रत्याशी का विरोध करेंगे हालांकि गोयल खुलेतौर पर तो इस बात का खंडन करते हैं परंतु सक्रिय क्यों नहीं है इस बात का जवाब भी देने में क्यों कतरा रहे हैं।