
संजीव कुमार दुबे सहायक आबकारी आयुक्त जहां पदस्थ रहें वहां विवाद खड़ा न करें ऐसा संभव ही नहीं, आबकारी मुख्यालय से चार साल बाद जबलपुर पदस्थ किए गए दुबे के कुछ दिन के कार्यकाल में ही फिर बड़ा मामला उजागर हो गया है, प्रदेश में पहली बार किसी कलेक्टर ने यह किया है हुआ यूं कि जबलपुर कलेक्टर दीपक सक्सेना ने एडीएम और एसडीएम के नेतृत्व 40 पटवारियों की टीम बना कर शराब दुकानों पर धड़ल्ले से चल रही ओवर रेटिंग की जांच करवाई, 22 शराब दुकानों में से 21 में ओवर रेटिंग पाई गई। सवाल यह उठता है कि ओवर रेटिंग के लिए लाइसेंसियों को कौन उकसाता और संरक्षण देता है ? क्या लायसेंसी जिले के आबकारी अधिकारी की सहमति के बिना ओवर रेटिंग कर सकते है ?
प्रदेश में पहली बार कलेक्टर ने पटवारियों से खरीदवाई शराब —
यह प्रदेश का पहला मामला जिसमें कलेक्टर दीपक सक्सेना को मिली शिकायत पर, कलेक्टर ने 40 पटवारियों की टीम बना कर जबलपुर की 22 शराब दुकानों पर ओवर रेटिंग की जांच करवाई जिसमें से 21 शराब दुकानों पर ओवर रेटिंग पकड़ाई। पटवारियों ने शराब खरीद कर ऑन लाईन यूपीआई से शराब खरीदी का भुगतान किया और 21 दुकानों पर ओवर रेटिंग पकड़ कर, केस बनाए।
दुबे ने चतुराई दिखाने की नाकाम कोशिश की —
सिर पर आई तो आबकारी अफसर संजीव दुबे भी ओवर रेटिंग पर कार्यवाही करने निकल पड़े और 32 के लगभग शराब दुकानों पर ओवर रेटिंग के केस बना दिए।जबलपुर में पदस्थ विवादित और कई जांच का सामना कर रहे आबकारी एसी संजीव कुमार दुबे ने अपने आपको बचाने के लिए बेक डेट में 32 शराब दुकानों पर ओवर रेटिंग की कार्यवाही करना दर्ज की जाने की चर्चा जनता में। किसने कब, किस दिनांक को कार्यवाही की इसकी भी जांच करने के लिए शराब दुकानों के सीसीटीवी रिकॉर्डिंग जप्त करने और रिकॉर्ड जब्त तक जांच की जाए तो संजीव दुबे की पोल खुल जाएगी.
प्राप्त जानकारी अनुसार ग्वालियर चंबल संभाग में भी शराब की दुकानों का नियमों के विपरीत संचालन हो रहा है तथा इन दुकानों पर ओवरराइटिंग तो एक आम बात है परंतु आबकारी विभाग तथा जिला प्रशासन समाचार लिखे जाने तक मौन है।