July 14, 2025
Spread the love

सिटी टुडे। मध्यप्रदेश राज्य में करीब एक सदी पुराने इँदोर के कृषि महाविद्यालय को ना सिर्फ शहर से बाहर करने की तैयारी हो रही है बल्कि छात्रों का आरोप है कि 3000 करोड़ से ज्यादा की इस जमीन को सिटी पार्क, आवासीय और कर्मिशयल प्रोजेक्ट के नाम पर निजी हाथों में सौंपने का प्रस्ताव भी तैयार हो रहा है जिसका कई वर्तमान एवं पूर्व छात्र संगठनों के अलावा किसान संगठन विरोध कर रहे हैं।यह प्रदेश का एकमात्र कृषि विवि है, जहां देश में सीड रिप्लेसमेंट के लिए छात्र-छात्राएं बीज तैयार करते हैं।

280 एकड़ से भी ज्यादा में फैले इस कैंपस के एक हिस्से में कॉलेज है, दूसरे में शोध सहित दूसरे काम होते हैं।कृषि कॉलेज की लगभग 3000 करोड़ की ज़मीन इंदौर के ना सिर्फ फेफड़े हैं बल्कि पिछले कुछ सालों में यहां के अनुसंधान केंद्र में हजारों क्विंटल ब्रीडर सीड बने हैं जिससे किसानों को प्रामाणिक बीज मिले।
कहां तो इस महाविद्यालय को विश्वविद्यालय में बदलने की योजना थी, कृषि मंत्री ने नाम पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी कृषि विश्वविद्यालय करने का ऐलान भी किया था।
लगभग 90 साल से इंदौर कृषि कॉलेज में ज्वार,चना,सोयाबीन सहित मिट्टी परीक्षण, जल प्रबंधन की कई तकनीकों पर काम और अनुंसधान हो रहा है। सालों पहले ब्रिटिश वैज्ञानिक सर अल्बर्ट हावार्ड ने इसी कॉलेज में जैविक अनुसंधान कर कंपोस्ट विधि से जैविक खाद तैयार की थी जिसे देखने महात्मा गांधी भी यहां आए थे। कृषि में सरकारें नवाचार की बात करती हैं लेकिन इसके लिये  अनुसंधान के लिये जमीन चाहिये, क्योंकि चावल,गेंहू,फल-फूल टेस्ट ट्यूब में तैयार नहीं हो सकती, उसके लिये मिट्टी ही चाहिये, मॉल नहीं।
प्राप्त जानकारी अनुसार सरकार की यह योजना सफल हो जाती है तो उसके बाद ग्वालियर की कृषि महाविद्यालय को भी इसी प्रकार निजी हाथों में देने की प्रक्रिया आरंभ होगी।

About Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *