
सिटी टुडे, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट की संविधान बेंच ने नोटबंदी के खिलाफ याचिका पर सुनवाई के दौरान बड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि उन्हें लक्ष्मण रेखा पता है। शीर्ष अदालत ने साथ ही कहा कि सुप्रीम कोर्ट की ड्यूटी है कि जो सवाल उन्हें रेफर किए गए हैं उसका वह जवाब दे। सुप्रीम कोर्ट इस फैसले का परीक्षण करेगा ताकि पता चले कि यह केवल एकेडमिक बहस तो नही था? मामले की अगली सुनवाई 9 नवंबर को होगी।
नोटबंदी के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और आरबीआई से हलफनामा के जरिए जवाब दाखिल करने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता के वकील पी. चिदंबरम ने दलील दी कि केंद्र का आरबीआई को इस बारे में लिखे लेटर, आरबीआई की सिफारिश आदि से संबंधित दस्तावेज मांगा जाए। साथ ही कहा कि आरबीआई एक्ट के तहत केंद्र सरकार को पूरे करेंसी नोट रद्द करने का अधिकार नहीं है। इस दलील के मद्देनजर हलफनामा पेश करने को कहा गया है।
जस्टिस एस. अब्दुल नजीर की अध्यक्षता वाली पांच-सदस्यीय पीठ ने कहा कि जब कोई मामला संविधान पीठ के समक्ष लाया जाता है, तो उसका जवाब देना पीठ का दायित्व बन जाता है। संविधान पीठ में जस्टिस बी. आर. गवई, जस्टिस ए. एस. बोपन्ना, जस्टिस वी. रमासुब्रमण्यम और जस्टिस बी. वी. नागरत्ना भी शामिल थे।
याची के वकील पी. चिदंबरम ने कहा कि नोटबंदी के कारण लोगों की नौकरी चली गई लोग बेरोजगार हो गए। अगर नोटबंदी करना था तो बैकअप में कैश होना चाहिए था। तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लोगों को भारी कठिनाई हुई है और यह हम देख रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट को चिदंबरम ने कहा कि क्या इस फैसले के लिए विवेक का इस्तेमाल किया गया? क्या यह अपनी मर्जी का फैसला नहीं था? सरकार ने जो आरबीआई को लिखा लेटर, आरबीआई की सिफारिश आदि से संबधित दस्तावेज देखा जाए। आरबीआई एक्ट की धारा 26 (2) के तहत केंद्र नोट की कुछ सीरीज को रद्द कर सकती है पूरे करेंसी को नहीं। आरबीआई के बोर्ड की बैठक के दस्तावेज भी मांगे जाए।