
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 का समय अब कुछ महीने ही बचा है तो राजनीतिक गतिविधियां रोज नई करवट ले रही हैं। आदिवासियों के संगठन जय आदिवासी युवा शक्ति (जयस) ने 2018 में कांग्रेस का साथ दिया था लेकिन इस बार जयस के टुकड़े होने से अब इसका एक धड़ा आदिवासियों के अलावा अनुसूचित जाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक को साथ लेने की कोशिश में चल रहा है। यह माना जा रहा है कि जयस द्वारा भाजपा का पीछे से सहयोग है और उसके सहारे इस बार कांग्रेस के वोट को बांटने के प्रयास तेज हो गए हैं।
आदिवासियों के संगठन जयस के नेता और कांग्रेस विधायक डॉ. हीरालाल अलावा इन दिनों काफी सक्रिय हैं। पिछली बार जयस ने 2018 चुनाव में कांग्रेस का पूरी तरह से साथ दिया था और कांग्रेस ने इसके बदले संगठन के नेता अलावा को टिकट दिया था। मगर इस बार जयस नेता अलावा आदिवासी आरक्षित 47 सीटों के अलावा सामान्य विधानसभा सीटों में भी 50 सीटों पर आदिवासियों के निर्णायक 30 से 50 हजार वोटर होने का दावा कर रहे हैं।
जयस नेताओं को चुनाव में उतारने समाजों का साथ मांग रहे
डॉ. अलावा आरक्षित सीटों व अपने आदिवासी प्रभाव की सीटों को मिलाकर 97 सीटों पर जयस नेताओं को चुनाव मैदान में ला रहे हैं। इसके लिए अब उन्होंने अनुसूचित जाति, ओबीसी, अल्पसंख्यकों के समाजों को साथ लेने का फैसला किया है। आज भोपाल में डॉ. अलावा ने जयस के एक धड़े के प्रदेश अध्यक्ष इंद्रपाल मरकाम के साथ मिलकर एससी नेता बुधसेन पटेल, अशोक पवार, ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के प्रदेश प्रमुख पीरजादा तौकीर निजामी, ओबीसी नेता प्रीतम लोधी के साथ मंच शेयर किया।
हम न बीजेपी के संपर्क में हैं न कांग्रेस के
कांग्रेस विधायक डॉ. अलावा ने इस बारे में कहा है कि जयस में न कोई बीजेपी के संपर्क में है न ही कांग्रेस के। जयस युवा नेतृत्व की थीम पर सभी समाजों को जोड़ रहा है जिससे 2023 के विधानसभा चुनाव में ज्यादा से ज्यादा नए युवाओं को एंट्री करा सके। उन्होंने कहा कि डॉ. राय कभी जयस के नहीं रहे और अंतिम मुजाल्दा को प्रदेश अध्यक्ष से हटा दिया गया है।