
सिटी टुडे। ग्वालियर के सिंधिया राजपरिवार की महारानी और केंद्रीयमंत्री महाराज श्रीमंत ज्योतिरादित्य सिंधिया की पत्नी प्रियदर्शनी राजे सिंधिया आज सुबह जयविलास पैलेस से पैदल ही चलकर एक किलोमीटर दूर कैंसर पहाड़िया पर स्थित सिंधिया परिवार की कुलदेवी मांडरे की माता मंदिर परिसर पहुंची। वहां शहर के लोगों से मिली और सभी से इस सुंदर पहाड़ी के नाम बदलने को लेकर विचार पूछे जब इस सम्बंध में शहरवासियों ने भी नाम बदलने की बात कही तो महारानी साहिबा ने शहरवासियों से ही कैंसर पहाड़ी का नाम बदलने के लिए नया नाम सुझाने को भी कहा। उन्होंने कहा कि कैंसर का नाम सुनकर ही डर लगता है जिससे इस सुंदर पहाड़ी होने के बावजूद लोगों को नेगेटिव फील आती है, इसे बदला जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि यह कितनी सुरम्य हरी-भरी पहाड़ी है। सैकड़ों लोग यहां सेहत के लिए रोज सुबह घूमने आते हैं, लेकिन इसका नाम ऐसा है कि डर लगने लगता है। अभी भी लोगों को कैंसर के नाम से डर लगता है। इसे बदला जाना चाहिए। उन्होंने यहां मौजूद लोगों से इसके लिए नाम भी मांगे। उन्होंने कहा कि यह इसका अधिकृत नाम नहीं है बस लोलोगों की जुबा पर रटा नाम है अब इसे बदलने के लिए हम सबको प्रयास करना चाहिए। हम लोग पहल करेंगे तो नए नाम को लोकप्रियता मिल जाएगी इस दौरान ज्यादातर लोगों ने संजीवनी पहाड़ी नाम सुझाया।
उन्होंने यह भी कहा कि मैं यहां की बहू हूं। मुझे यही रहना है और हमें यहां सबसे सदैव सीखना भी है और सबके साथ प्रयास भी करना है कि ग्वालियर कैसे और स्वच्छ और विकसित और अच्छा हो। इसके लिए हम सबको प्रयास करना होंगे और तभी हमारे घर को फायदा मिलेगा। ग्वालियर आपका हमारा और हम सबका घर है इसके विकास, सुंदरता और स्वच्छता पर हमें संयुक्त रूप से हरसम्भव प्रगति कार्य करने ही है। उन्होंने लोगों के बीच पहुंचकर मंगोड़े-पकोड़ों का लुत्फ भी उठाया। यही नहीं लोगों के साथ अपने मोबाइल से सेल्फी भी ली।
कैंसर अस्पताल के कारण नाम कैंसर हिल हो गया
मांडरे की माता के मंदिर से शिवपुरी और झांसी रोड तक फैली विशाल पहाड़ी पर कैंसर अस्पताल का निर्माण हो जाने के बाद लोग इसे कैंसर हिल्स के नाम से ही पुकारने लगे। हरियाली से ओतप्रोत इस पहाड़ी के अनेक हिस्से पर कब्जा भी हो गया है । लोगों ने झोंपड़ियां और मकान भी बना लिए हैं लेकिन अभी भी कई किलोमीटर तक यह हरियाली से आच्छादित है और बड़ी संख्या में स्थानीय लोग यहां मॉर्निंग वॉक के लिए जाते हैं।
लोगों के साथ बैठकर जाने नाम
लोगों के बीच सामान्य रूप से बैठकर कैंसर पहाड़िया का नाम बदलने को लेकर चर्चा की, लगभग 3 घंटे तक लोगों के बीच बैठकर महारानी प्रियदर्शनी राजे सिंधिया ने बातें की लोगों के हाल-चाल को जाना और लोगों से पहाड़ी के नामकरण को लेकर पर्ची पर नाम कलेक्ट किए, लोगों से राय मशवरे के बाद कैंसर पहाड़ी का नाम शीतल संजीवनी पहाड़ी सहित दो अन्य नामों पर मंथन हुआ, इस दौरान प्रियदर्शनी राजे सिंधिया का सहज सरल और अलग अंदाज भी देखने को मिला जहां उन्होंने लोगो के बीच पकौड़ी का लुफ्त उठाया तो वही पकौड़ी डिसटीब्यूट करने वाले आम लोगों के साथ अपने मोबाइल से सेल्फी भी ली।
नाम बदलने को लेकर ये दिया तर्क
लोगों से मुलाकात और चर्चा के बाद प्रियदर्शनी राजे सिंधिया ने कहा कि अक्सर वह यहां से शिवपुरी सुलतानगढ़ गुना सहित अन्य जगह जाने के लिए निकलती है, इसलिए यहां पर रहने वाले लोगों को वो जानती भी है, लेकिन उन्हें हमेशा से कभी अच्छा नहीं लगा कि इस खूबसूरत पहाड़ी का नाम कैंसर पहाड़ी है,जबकि यहां मध्य प्रदेश के 2 बड़े हॉस्पिटल हैं, जो लोगों को नया जीवन दे रहे हैं साथ ही खूबसूरत प्लांटेशन और खुली हवा मौजूद है फिर भी इसे कैंसर पहाड़ी के नाम से जाना जाता है जिसे सुनकर शहर के साथ ही बाहर से आने वाले लोग भी नेगेटिव फील करते हैं। यही कारण है कि सबके साथ मिलकर पहल की है कि लोग यहां का नाम कुछ ऐसा रखें जिसे सुनकर पॉजिटिव फील हो लोग खुश हो ऐसे में दो तीन नामों पर चर्चा चल रही है यहां पर रहने वाले यहां पर रोज वॉकिंग करने वाले लोग मिलकर तय करेंगे कि आखिर इसका फाइनल नाम क्या रखना है जो पॉजिटिव फील वाला हो।
जयविलास पैलेस में 23-25 दिसंबर तक होगा एकम फेस्टिवल
प्रियदर्शनी राजे सिंधिया चम्बल संभाग के आंत्रप्रेन्योर को जोड़कर उन्हें एक प्लेटफार्म देने के काम में भी जी जान से जुटीं हैं। इसके लिए उन्होंने विगत वर्ष भी जयविलास म्यूजियम में एकम नामक एक उत्सव शुरू किया था जो इस साल एक बार फिर होने जा रहा है यह आयोजन 23 से 25 दिसंबर के बीच होगा।
इसका मकसद युवाओं को प्लेटफार्म उपलब्ध कराना
सिंधिया ने इस आयोजन की जानकारी देते हुए बताया कि यह ना केवल ग्वालियर चम्बल बल्कि समूचे एमपी के आंत्रप्रेन्योर, डिजायनर, कलाकार विभिन्न क्षेत्रों के आर्ट में काम करने वाले युवक-युवतियों के लिए एक प्लेटफार्म है। ताकि सब जगह ये मैसेज जाए कि हमारे यहां कितना टैलेंट है।
आइडिया का हो आदान-प्रदान
प्रियदर्शिनी राजे ने कहा कि हम चाहते है कि हमारे वेंडर से लोग मिलें, उनके आइडिया सुनें और अपने आइडिया उन्हें दें ताकि विचार आगे बढ़े। उन्हें प्रोत्साहन मिले और उन्हें इन्वेस्टमेंट और मार्केट भी मिले।