
गवई का कहना था कि हमें अपने बच्चों की परवरिश करना मुश्किल हो जाता है। लेकिन सीजेआई दंपत्ति गोद लिए बच्चों पर सब कुछ न्योछावर करने को तैयार रहते हैं।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीआर गवई का मानना है कि सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ भारतीय न्यायपालिका की तस्वीर बदलने में सक्षम हैं। शनिवार को बांबे हाईकोर्ट में आयोजित एक समारोह में गवई ने कहा कि देश देखेगा कि सीजेआई कैसे आम लोगों को सस्ता और त्वरित न्याय उपलब्ध कराते हैं। उनके कार्यकाल में हुए फैसले हमेशा अनुकरणीय माने जाएंगे। प्रोग्राम में जस्टिस अभय ओका और दीपांकर दत्ता भी मौजूद थे।
समारोह का आयोजन सीजेआई के सम्मान में किया गया था। जस्टिस गवई ने कहा कि हमने सीजेआई की मारक क्षमता को करीब से देखा है। वो हर काम को मुकम्मल करने के लिए जाने जाते हैं। वो चाहते हैं कि समाज के सभी वर्गों विशेषकर कमजोर तबके को मुख्य धारा में आने का मौका मिले।
जस्टिस गवई ने एक उदाहरण देकर बताया कि सीजेआई किस कदर भावनात्मक और जिम्मेदारी को उठाने वाले हैं। उन्होंने बताया कि इलाहाबाद हाईकोर्ट का चीफ जस्टिस रहते हुए चंद्रचूड़ दंपत्ति ने दो निःशक्त बच्चों को गोद लिया था। दोनों ने उन्हें अपने बच्चों की तरह से पाला है। एक बच्चा पिछले साल कोरोना की लहर के दौरान बीमार पड़ा तो सीजेआई की पत्नी कल्पना दास तकरीबन एक माह तक चंडीगढ़ में उसकी देखभाल के लिए साथ रहीं।
गवई का कहना था कि हमें अपने बच्चों की परवरिश करना मुश्किल हो जाता है। लेकिन सीजेआई दंपत्ति गोद लिए बच्चों पर सब कुछ न्योछावर करने को तैयार रहते हैं। उनका कहना था कि मानवता की ये झलक सीजेआई के फैसलों में साफ दिखाई देती है। इससे ही उनकी अप्रोच पता चल जाती है कि वो कितने संजीदा हैं।
भारतीय सेना में महिलाओं की एंट्री पर उनका फैसला सब कुछ बयां कर देता है। वो Workaholic है। उनके सोचने का एक तरीका है। वो लीक से हटकर बात को करते हैं और उसे लागू करने का माद्दा रखते हैं। उनके पीछे एक ताकत है और वो हैं उनकी पत्नी कल्पना दास। गवई का कहना था कि अपने परिवार से मिले संस्कारों और पत्नी के साथ की वजह से सीजेआई हर शख्स को लेकर संजीदा दिखते हैं। उनकी ये ही खासियत बताती है कि भारतीय न्यायपालिका की तस्वीर कितनी जल्दी और कैसे तब्दील होने वाली है।