मध्यप्रदेश कांग्रेस के अंदर डी.के. बॉस अर्थात दिग्विजय सिंह और कमलनाथ की जोड़ी दो अलग-अलग दिशाओं में चलकर कांग्रेस को विभाजन की रेखा खींचती जा रही है वो भी तब जब अब मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव में मात्र 6 महीने बाकी रह गए है। जहाँ कांग्रेस विपक्ष के खिलाफ तो अभी किसी भी मुद्दे पर एकछत के नीचे लामबंद नहीं हो पाई और न ही भविष्य में कोई ऐसी योजना है।
जहां एक तरफ कमलनाथ घोषणावीर की तर्ज पर घोषणाएं करते जा रहे हैं वहीं दिग्विजय सिंह अपने प्रत्येक दौरे के नाम पर अपने चहेते पट्ठों की प्रत्याशियों के रूप में अघोषित घोषणा करते जा रहे हैं ताकि भविष्य में अपने युवराज को मुख्यमंत्री बनाए जाने की परियोजना को अंतिम रूप दिया जा सके। राजा के इन दौरों के दौरान प्रत्येक जिले में निष्ठावान कांग्रेसियों के साथ राजा के द्वारा दुर्व्यवहार की लगातार शिकायतों को भी हाईकमान अब गंभीरता से नहीं ले रहा शायद इसीलिए अलीराजपुर, डिंडोरी जिले के जिला अध्यक्षों ने एकजुटता दिखाते हुए त्यागपत्र दे दिए, खंडवा, खरगोन के कांग्रेस जनों में विद्रोह की जूतमपैजार बन्द चार दीवारों से बाहर निकलकर सड़क तथा चौपाल पर आ गई है।
अब बात चंबल संभाग की करते हैं संभाग के मुरैना जिले में जौरा विधानसभा क्षेत्र से प्रत्याशी चयन को लेकर जहां बाहरी अर्थात पंकज उपाध्याय तथा स्थानीय प्रत्याशियों की दौड़ में वृंदावन सिंह सिकरवार सबसे आगे चल रहे हैं परन्तु राजा के कोपभाजन का शिकार होकर सिकरवार खुलेआम घोषणा कर चुके हैं “मैं प्रत्याशी नहीं तो कांग्रेस की जीत नहीं”।
ठीक इसी प्रकार अब मुरैना जिले की ही आरक्षित अंबाह विधानसभा क्षेत्र से स्थानीय प्रत्याशियों दावेदारों को दरकिनार कर भिंड जिले की भारतीय जनता पार्टी की पूर्व नेता भिंड जनपद अध्यक्ष रही संजू जाटव जो कि तंत्र मंत्र वाले मिर्ची बाबा का पल्लू पकड़ कर राजा के दरबार में पहुंची थी पहले गोहद से फिर डबरा से तथा अब मुरैना जिले की अंबाह विधानसभा क्षेत्र से न केवल दावेदारी कर रही हैं राजा से हाल ही में दिल्ली में मुलाकात के बाद टिकट की पूर्ण आत्मविश्वास के साथ पिछले 6 महीने से अंबाह विधानसभा क्षेत्र में सक्रिय होकर जनसंपर्क मैं व्यस्तता दिखा तो रही है लेकिन भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ मुद्दों की लड़ाई लड़ने की हिम्मत नहीं रख पा रही हैं।
भिंड जिले की इस कॉंग्रेस में बाहर से आयतित नेत्री संजू जाटव की अपने जिले भिंड को छोड़ दूसरे जिले मुरैना की अंबाह विधानसभा क्षेत्र में सक्रियता के कारण स्थानीय, निष्ठावान कांग्रेसियों नेताओ, कार्यकर्ताओं व टिकट के दावेदारों में आक्रोश की चिंगारी अब आर-पार की लड़ाई में परिवर्तित हो गयी है।
सूत्रों अनुसार कमलनाथ की कार्यप्रणाली से चंबल के बाहुबली व मजबूत जनाधार रखने वाले नेता प्रतिपक्ष डॉक्टर गोविंद सिंह पहले से ही बाहर से आयातित कर लाए गए और जनता द्वारा लगातार नकारे गए फूल सिंह बरैया को चंबल का प्रभारी बनाए जाने से नाराज हैं और वह अपनी नाराजगी हाई कमांड को खुलकर जाहिर भी कर चुके हैं।
ऐसे में कहीं समय रहते अगर आलाकमान ने कोई ठोस निर्णय नहीं लिया तो संजू जाटव की अंबाह सीट पर सक्रियता से कांग्रेस के अंदर विद्रोह की गूंज लगातार कॉंग्रेस में उठ रही विद्रोह की आग की लपटों में घी डालने का काम न कर दे। अन्यथा इसका असर ये होगा कि मध्य प्रदेश की कांग्रेस के अंदर राजा का पुत्र मोह और पट्ठावाद के कारण विद्रोह की आग भाजपा को ही मजबूती के साथ सत्तासीन करने की राह आसान करेगी ठीक उसी तरह जिस तरह 2008 के विधानसभा चुनावों में हुआ था।
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