
मध्यप्रदेश कांग्रेस कार्यालय में मीडिया प्रभारी के के मिश्रा मीसाबंदी की कार्यशैली निष्ठा पर हमेशा सवालिया निशान खड़े होते रहे हैं पद के लोग के कारण वह हमेशा सुर्खियों में रहकर अधिकारियों पर दबाव डालकर स्वार्थ सिद्ध जरूर कर लेते हैं परंतु कांग्रेस का जनता में पक्ष रखने में हमेशा नाकामयाब रहकर केवल उन्हीं राजनेताओं अधिकारियों के विरुद्ध अपना मुंह खोलते हैं जहां से उनके आका उनको इशारा करते हैं डीके जुगलबंदी भी इन पर भरोसा नहीं करती परंतु फिर भी इनको पीसीसी में मीडिया प्रभारी बना कर रखा है आखिर क्या मजबूरी है डीके कंपनी के कमलनाथ किचन के दो खेमों में से एक खेमा जो कमलनाथ के प्रति निष्ठावान है वह तत्काल मिश्रा को इस पद से हटाना चाहता है परंतु उनकी जगह कौन ले नाम सामने आता है शोभा ओझा का शोभा ओझा कांग्रेस की राष्ट्रीय स्तर की नेता तो जरूर है परंतु इंदौर के मतदाताओं द्वारा सभी चुनावों में उनको नकारा गया है वर्तमान में कमलनाथ के प्रति निष्ठावान होने का दावा करने के साथ ही प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में मीडिया प्रभारी की कुर्सी पर उनकी निगाह है परंतु डीके जुगलबंदी के बंटाधार की अंदरूनी नापसंद बताई जाती हैं. मीडिया प्रभारी की कुर्सी को लेकर इन दोनों के बीच नूरा कुश्ती अब सड़कों पर आ चुकी है जिससे कांग्रेस की छवि मीडिया तथा मतदाताओं के बीच निरंतर बिगड़ती जा रही हैं , डीके कंपनी की जुगलबंदी शायद इंदौर की राजनीति के सामने अपने हथियार डाल चुकी है क्योंकि प्रदेश में अल्पसंख्यक बहुल इंदौर खंडवा भोपाल मैं अभी तक कांग्रेस जिला अध्यक्ष पद पर किसी की नियुक्ति नहीं कर सकी जिसका असर सर्वहारा मतदाताओं तथा निष्ठावान कांग्रेसी जनों पर पर पड रहा है नाम ना छापने की शर्त पर इंदौर के कुछ नेताओं ने सिटीटूडे के संवाददाता से चर्चा करते हुए कहां के अगर इन दोनों के बीच नूरा कुश्ती का युद्ध जल्दी समाप्त करने के साथ ही तीनों जिलों में जल्दी सर्वसम्मति से किसी वरिष्ठ अल्पसंख्यक नेता को तीनों जिलों में अध्यक्ष नहीं बनाया गया अल्पसंख्यक समुदाय भी नाराज होगा.