मध्य प्रदेश में कांग्रेस की कद्दावर नेता एवं पूर्व मंत्री तथा पूर्व नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह अपनी ही पार्टी में जातीय समीकरणों के तहत हाशिये पर हैं।
सूत्रों अनुसार विधानसभा चुनाव हारने के बाद गोविंद सिंह ही नहीं केपी सिंह कक्काजू भी इसी जातीय समीकरण का शिकार हुए। केपी सिंह तो अपने निजी पारिवारिक जीवन के और विदेश में फैले व्यापार की देखरेख करने के साथ साथ पिछोर विधानसभा क्षेत्र में सामाजिक रूप से पूर्ण सक्रिय है परंतु मध्य प्रदेश में दोनों नेता राजनीतिक रूप से निष्क्रिय हो चुके हैं। ज्ञात हो कि इन दोनों के ही ऊपर स्वर्गीय अर्जुन सिंह तथा पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का हाथ था परंतु दिग्विजय सिंह के पुत्र का राजनीति में सक्रिय होने के बाद विधायक तथा मंत्री बन जाने से केपी सिंह को उनकी वरिष्ठता के बावजूद भी पुत्र मोह के कारण मंत्री नहीं बनाया गया।
ग्वालियर चंबल अंचल सर्वाधिक कद्दाबर नेता गोविंद सिंह का भी विधानसभा चुनाव हारने के पूर्व से यही हाल है संगठन ने तो उनको शुरू से दूर रखा परंतु अंचल में कांग्रेस के अंदर जातीय समीकरणों का पहला शिकार गोविंद सिंह ही बने उनको वरिष्ठता के बावजूद भी उनका नेता प्रतिपक्ष से हटाकर कांग्रेस संगठन ने पिछले 10 महीने से उनको हाशीये पर रखा हुआ है ।
सिटी टुडे को प्राप्त जानकारी अनुसार हाल ही में मुरैना जिले की विजयपुर विधानसभा उपचुनाव के लिए जो तीन सदस्य समिति बनाई गई है उसमें अध्यक्ष राज्यसभा सदस्य अशोक सिंह के अलावा दिग्विजय सिंह ने अपने पुत्र जयवर्धन सिंह तथा पूर्व विधायक सत्यपाल सिंह सिकरवार उर्फ नीटू सिकरवार को सदस्य बनाया है नीटू सिकरवार लोकसभा चुनाव लड़ने के बाद हार चुके है यह तीनों नेता विजयपुर विधानसभा उपचुनाव के लिए तीन दावेदारों के नाम पैनल में तैयार करने के बाद प्रदेश कांग्रेस कमेटी को अपना प्रतिवेदन सौंपेंगे। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने दिग्विजय सिंह के इशारे पर ही विजयपुर उपचुनाव से गोविंद सिंह को दूर रखा है या गोविंद सिंह खुद दूरी बनाए हुए हैं यह तो विधानसभा उपचुनाव के बाद उजागर होगा परंतु चंबल अंचल में मजबूत पकड़ रखने वाले 2014 में लोकसभा चुनाव लड़कर त्रिकोणीय मुकाबले में गोविंद सिंह तीसरे नंबर पर आए थे इसके बावजूद भी उनका सर्वाधिक वोट शिवपुरी जिले से मिले थे, परंतु हाल ही में विजयपुर उपचुनाव में कांग्रेस की सक्रियता जीतू पटवारी उमंग सिंगार था जयवर्धन सिंह के दौरों श्री गोविंद सिंह पूरी रखिए उनको दूर रखा गया परंतु विजयपुर उपचुनाव से उनको एक योजना के तहत दूर रखा गया ऐसा क्यों? इस मुद्दे पर कांग्रेस के ही कुछ वरिष्ठ नेताओं ने चर्चा करते हुए कहा की दिग्विजय सिंह की शह और मात की राजनीति के कारण प्रदेश में कई नेता कांग्रेस में हाशिये पर है कई कांग्रेस छोड़कर जा चुके यहां तक के दिग्विजय सिंह ने जी राजेंद्र भारती को दतिया से कांग्रेस प्रत्याशी बनवाने में वकालत की थी वह भी अब भाजपा की दहलीज पर पर रख चुके हैं केवल घोषणा बाकी है,गोविंद सिंह भी दिग्विजय सिंह के पुत्र मोह शिकार हुए हैं जिससे ग्वालियर चंबल अंचल में कांग्रेस के अंदर क्षत्रिय समाज से केवल जयवर्धन सिंह जी आगे बढ़कर सत्ता से भले बाहर रहे परंतु संगठन अपने शिकंजे में रखना उनका लक्ष्य है । गौर तलब है कि ग्वालियर चंबल संभाग में दिग्विजय सिंह द्वारा मंत्री तथा मुख्यमंत्री की हैसियत के दौरान अंचल के कई क्षत्रिय समाज के नेताओं को हाशिये पर रख दिया था यहां तक के पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय अर्जुन सिंह जी के सुपुत्र अजय सिंह जो उनके नजदीकी रिश्तेदार भी है उनको भी दिग्विजय सिंह की राजनीति का शिकार होकर हाशिये पर रखा हुआ है।