सिटी टुडे। 12 फरवरी 1920 को जन्मे सुप्रसिद्ध अभिनेता प्राण जब बुंबई आए तो वह पंजाबी फिल्मों में काम कर चुके थे और उनकी शादी भी हो चुकी थे ! बंबई आकर वह कुछ सालों तक मज़गाँव और पाली हिल्स बांदरा के इलाके में किराए के मकान में रहे ! लेकिन उनका एक सपना था “एक बंगला बने प्यारा जिसमें रहे कुनबा सारा” और जब फिल्मों में काम मिलने लगा तो उम्मीद भी बढ़ने लगी लेकिन अभी वो इतने पैसे जमा नहीं कर पाए थे कि अपनी मर्जी के मुताबिक प्लॉट खरीद सकें और बंगला बना सके अलबत्ता उन्होंने अपने सभी दोस्तों को कह रखा था कोई सस्ता प्लॉट या कोई बना बनाया घर कहीं मिले तो जरूर बताएं !………. एक दिन उनके एक दोस्त ने सूचना दी यूनियन पार्क पाली हिल में एक प्रॉपर्टी बड़ सस्ते में मिल रही है ! प्राण साहब खुश हो गए और फौरन पहुंचे प्रॉपटी देखने प्रॉपर्टी देखी प्रॉपर्टी उनको भा गई लेकिन मन में एक सवाल था कि इतनी अच्छी प्रॉपर्टी, इतना अच्छा प्लॉट, इतने सस्ते दामों में कैसे बिक रहा है ?
तो पता चला की यह प्रॉपर्टी पहले कॉमेडियन गोप और फिर निर्माता राम कलमानी और संगीतकार अनिल विश्वास के पास थी ! लेकिन जिसने भी इस प्रॉपर्टी का खरीदा उसे नुकसान उठाना पड़ा इसीलिए लोग इस प्रॉपर्टी को अशुभ समझते हैं मनहूस समझते हैं प्राण ने ऐसे किसी भी अंधविश्वास को मानने से इनकार कर दिया साथ ही था यह भी फैक्ट था कि इतने कम पैसों में इतनी बड़ी जगह मिलना नामुमकिन था ! प्राण को सबने समझाया कि यह प्रॉपर्टी मत खरीदो लेकिन प्राण ने पूरे विश्वास के साथ अंधविश्वास को ठोकर मारते हुए उस प्लाट को खरीद लिया और उस पर बंगला बनाना शुरु कर दिया कुछ महीनों बाद बंगला बनकर तैयार हो गया उन्होंने बंगले का नाम अपनी बेटी के नाम पर रखा ‘पिंकी’ ……और प्राण का यह बंगला प्राण और उनके परिवार के लिए अशुभ नहीं बल्कि बहुत शुभ साबित हुआ बहुत लकी साबित हुआ उन्होंने इस बंगले में प्रवेश करने के बाद खूब पैसा कमाया और खूब नाम कमाया। दुनिया आज उन्हें उन्हें ‘विलेन ऑफ़ दा मिलेनियम ‘ कहती है …..
प्राण साहेब फिल्मो में भले ही अव्वल दर्जे के विलेन थे लेकिन असल जिंदगी में वो बड़े नेक और भले इंसान थे प्राण ने लोगों को डराया, रुलाया तो हंसाया भी उन्होंने एक बार राज कपूर की खराब वित्तीय हालत को देखते उनकी फिल्म ‘बॉबी’ के लिए सिर्फ 1 रुपए ही फीस चार्ज की थी अपने निभाए किरदार से दर्शकों के दिलों में सिहरन भर देने वाले प्राण निजी जिंदगी में बेहद मददगार इंसान थे एक समय था जब दिलीप कुमार, देवानंद और राजकपूर की तिकड़ी पूरे देश में अपनी जगह बना चुकी थी हर सफल फिल्म में यही तीनों नायक मुख्य भूमिका में नजर आते थे लेकिन खलनायक के तौर पर इन तीनों के साथ अलग-अलग सफल जोड़ी बनानें में प्राण कामयाब हुए इस दौर की फिल्मों में एक के बाद एक नए हीरो आते रहे, लेकिन विलेन सिर्फ एक ही रहा और वो थे प्राण ……..प्राण की सिख धर्म में बहुत आस्था थी। किसी नई फिल्म की शूटिंग आरम्भ करने से पहले वे गुरुद्वारे में गुरु ग्रन्थ साहिब जी के अखंड-पाठ आरम्भ करवाते थे और फिर पाठ की समाप्ति के बाद ही शूटिंग पर जाते थे।….
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पवन मेहरा ✍️