सिटी टुडे। एक तरफ एकाएक मुख्य्मंत्री मोहन यादव का बैरियर बंद करने का फरमान दूसरी तरफ़ शासन को 4800 करोड़ का राजस्व देने का लक्ष्य परिवहन विभाग के लिए हिमालय की चोटी पर चढ़ने जैसा साबित हो रहा है क्योंकि हर वर्ष राजस्व लक्ष्य को प्राप्त करने के अतिरिक्त राजस्व परिवहन विभाग द्वारा शासन को दिया जाता रहा है।
परंतु वर्तमान में बिना किसी वैकल्पिक योजना का निर्धारण किए तथा संसाधनों के आभाव के संग 50 फीसदी कर्मचारियों की कमी के बावजूद बैरियर बंद तो कर दिए गए लेकिन अब न्यूनतम 4800 करोड़ के राजस्व के निर्धारित लक्ष्य की हानि हो ही रही है।
यही हाल प्रदेश भर के परिवहन कार्यालय में भी है जहां आवेदको को दिनभर लंबी कतारें में खड़े रहने के बाद भी कई कई दिन तक चक्कर लगाने पड़ रहे है ऐसे में परिवहन कार्यालय में दलाल, प्राईवेट कर्मचारियों और होमगार्ड के कर्मचारी सुविधा शुल्क ऐंठ कर आवेदको के काम अधिकारियो की घरों में देर शाम जाकर करवा रहे हैं ये अधिकारी भी इन कथित दलालों से तय कमीशन ही नहीं इनसे विशेष डिमांड की पूर्ति कर इनके द्वारा लाए गए आवेदनों पर हस्ताक्षर करते है।
लंबे समय से प्रमोशन भी न होने के कारण प्रमोशन के इंतजार में टकटकी लगाए बैठे पहुंच वाले सेटिंगबाज ARTO विशेष परिस्थितियों का भरपूर आनंद ले रहे हैं।
प्रदेश के 24 जिला परिवहन कार्यालय ऐसे हैं जो नियम विरुद्ध प्रभारी ARTO के सहारे घिसट रहे है। प्रदेश में वर्तमान में सिर्फ एक ही RTO अधिकारी HK सिंह ही बचे है जो ग्वालियर में कार्यरत है इनके पास ग्वालियर RTO के अतिरिक्त सचिव राज्य परिवहन प्राधिकारी का प्रभार पृथक से है। आलम ये है कि सिर्फ ARTO ही नहीं RTI स्तर के कर्मचारी भी एकसाथ दो तीन जिलों का प्रभार संभालकर मोटी मलाई का सेवन कर ही रहे है।
इनके पास है प्रभार
सुनील शुक्ला सागर, टीकमगढ़, निवाड़ी तीन जिले। एच के सिंह सचिव राज्य परिवहन प्राधिकारी तथा ग्वालियर RTO। ज्ञानेंद्र वैश्य गुना, राजगढ़ दो जिले। स्वाति पाठक दतिया, भिंड दो जिले। जितेंद्र शर्मा भोपाल, नरसिंहपुर दो जिले। सुरेंद गौतम डिंडोरी, अनूपपुर दो जिले। जगदीश बिल्लौर खरगोन, खंडवा दो जिले। संतोष मालवीय उज्जैन, शाजापुर दो जिले। विक्रमजीत सिंह कंग पन्ना, छतरपुर दो जिले। आशुतोष सिंह शहडोल, सीधी दो जिले। निशा चौहान नर्मदापुरम, हरदा दो जिले। संजय श्रीवास्तव उमरिया, सतना दो जिले।
Staff की कमी और 4800 करोड़ राजस्व वसूली से पिछड़ा परिवहन विभाग, दो महीनों में हादसों की संख्या 22 हजार
दिनांक 31 अगस्त
सिटी टुडे। मध्यप्रदेश परिवहन विभाग में गुजरात मॉडल लागू हुए 2 महीने पूर्ण हो चुके हैं। दरअसल कुछ ऐसे ट्रांसपोर्टर जो मोटर व्हीकल एक्ट के विपरीत गाड़ियों का संचालन करते व इनपर पेनल्टी की कार्यवाही किए जाने से खिन्न होकर विभाग के अधिकारियो पर अनैतिक दबाव बनाने के प्रयास में रहते थे जिससे उनकी मोटर व्हीकल एक्ट की धज्जियां उड़ाकर अवैध रुप से संचालित भारी मालवाहक गाड़ियां बेरोकटोक RTO बैरियर से क्रॉस हों सके परंतु जब किसी दबाव से काम न बनता तो अपने स्टाफ के माध्यम से पेनल्टी से बचने के लिए RTO बैरियर पर तैनात छोटे कर्मचारियों को सुविधा शुल्क देकर गाड़ियां क्रॉस कराने से भी नहीं चूकते थे।
विभागीय सूत्रों के अनुसार यूनियन के नाम पर ये एंट्री माफिया बनकर बड़े तथा छोटे ट्रांसपोर्टरों की हजारों गाड़ियां प्रतिदिन बैरियरो से क्रॉस कराने के एवज में मोटी फीस प्रति गाड़ी के हिसाब से तय मासिक शुल्क भी लेकर उनकी गाड़ियां भी क्रॉस करवाते रहे है इनकी इन कारगुजारिओ से शासन को अक्सर एकतरफा बदनामी का कलंक मिलता रहा क्योंकि लोकतंत्र के चौथे स्तंभ कहे जाने वाले किसी प्रेस-मीडिया ने इनकी कारगुजारियो को नहीं दिखाया बल्कि विभाग के अधिकारियो पर ही दबाव बनाकर स्वार्थों की पूर्ति करने का प्रयास किया।
अब मध्य प्रदेश परिवहन विभाग में गुजरात मॉडल लागू 2 महीने पूर्ण हो चुके हैं। ओवर लोड अपराध है सरकारों नें ओवरलोड गाड़ियों पर प्रतिबन्ध लगाया हुआ है ऐसे में प्रशासन की जिम्मेदारी बनती है कि वे ओवरलोडिंग पर सख्त कार्यवाही करें लेकिन हकीकत इसके ठीक उलट है आये दिन सड़कों पर ओवरलोड गाड़िया फर्राटा भारती हैं जिससे सड़क को नुकसान तो पहुचता ही है साथ ही साथ तमाम दुर्घटनाएं भी होती हैं। लेकिन अब मोटर व्हीकल एक्ट की खुलेआम धज्जियां मालवाहक वाहन बिना किसी भय के ओवरलोडिंग भरकर हाईवे पर हादसों के माध्यम से मौत बांट रहे हैं क्योंकि इन दो महीनों में हाईवे पर सड़क हादसों की संख्या तो तेजी से बढ़ी ही है उसका मुख्य कारण इन भारी मालवाहक ट्रकों की ओवरलोडिंग से प्रदेश हाईवेज की दुर्दशा तो हो ही रही है इसके अलावा ओवरलोडिंग के चलते चालक एक्सीडेंट होने की दशा में गाड़ी संभाल नहीं पा रहे जिससे हादसों और हादसों में मरने वालों की संख्या इन दो महीनों में बढ़ गई है वहीं ट्रक चालक अकसर शराब ही नहीं डोडा, भुक्की, पोस्त जैसे सूखे नशे में भी ट्रक चलाते ही है। एक रिपोर्ट के अनुसर सरकार के ही आंकड़े बताते है कि इन दो महीनों में हाईवेज पर 22 हजार से अधिक सड़क हादसे हुए हैं जो इससे पहले की तुलना में सीधा तीन गुना अधिक हैं ऐसे में इन हादसों में मरने वालों के लिए जिम्मेदारों पर क्या कार्यवाही हुई यह मत पूछिए क्योंकि मरने वाला मर गया ट्रक वाला गाड़ी संग भाग गया पकड़ा भी गया तो चंद दिनों के बाद जमानत लेकर फिर हाइवेज पर मौत की उड़ान भरता है कोर्ट से मरने वालों के परिजनो को सालों चप्पल घिसने के बाद नाम मात्र का मुआवजा मिल पाता है।
परिवहन विभाग भी नहीं करता ठोस कार्रवाई
सड़कों पर ओवरलोड वाहनों के खिलाफ कार्रवाई परिवहन विभाग करनी चाहिए। क्षेत्र में ओवरलोड वाहन सड़कों को क्षतिग्रस्त कर रहे हैं इनके खिलाफ व्यापक स्तर पर कार्रवाई नहीं होती है।
खैर देखा जाए तो एक तरफ जहां ट्रांसपोर्ट यूनियनें इसे अपनी जीत मानकर खुश है वहीं प्रदेश के हाईवेज की दुर्दशा के साथ ही शासन को करोड़ो की भारी भरकम राजस्व हानि हो रही है जिसका सीधा असर फिलहाल प्रदेश सरकार पर ही पड़ रहा है क्योंकि मोटर व्हीकल एक्ट का पालन न करने वालों पर पेनल्टी नहीं लगाई जा पा रही है वहीं स्टाफ की भारी कमी से जूझ रहे विभाग के चैकिंग दस्ते के हत्थे गाहे बेगाहे ये चढ़ भी जाएं तो उड़न दस्ते में होमगार्ड के रूप में तैनात कर्मचारियों को सुविधा शुल्क देकर अब भी निकल ही रहे हैं अंतर सिर्फ इतना है कि पहले इन्हें शासन को पेनल्टी चुकानी ही पड़ती थी।
ट्रांसपोर्ट कमिश्नर डीपी गुप्ता भी पत्रकारों से बातचीत के दौरान स्वीकार कर चुके हैं कि मध्य प्रदेश परिवहन विभाग में लगभग 50 फीसदी पद खाली पड़े हैं। इस कारण काम करने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। आयुक्त गुप्ता ने यह भी बताया था कि परिवहन विभाग को इस वर्ष 4800 करोड़ का राजस्व संग्रह करने का लक्ष्य मिला है।
एक अन्य मामला भी सामने आया है, परिवहन विभाग और स्मार्ट चिप कंपनी के विवाद में वाहन रजिस्ट्रेशन कार्ड व ड्राइविंग लाइसेंस बनाने का पूरा काम अटक गया है कारण है 31 अगस्त 2024 को स्मार्ट चिप कंपनी का ठेका खत्म हो रहा है। नई कंपनी को काम दिया जा रहा है, जिसके चलते सॉफ्टवेयर बदला गया है। परिवहन विभाग आवेदकों के लिए कोई विकल्प अभी तक तैयार नहीं कर सका।
इस परेशानी का कारण परिवहन विभाग और स्मार्ट चिप कंपनी के बीच भुगतान और टेंडर रिन्यूअल न होना है। स्मार्ट चिप कंपनी के प्रतिनिधियों व कर्मचारियों ने कार्यालय में ताले तक डाल दिए, जिससे हड़कंप मच गया था। कंपनी का टेंडर 30 जून 2024 को खत्म हो गया था, जिसे 31 अगस्त 2024 तक के लिए बढ़ा दिया गया था। 2003 से गुड़गांव की स्मार्ट चिप कंपनी RTO के लिए ड्राइविंग लाइसेंस व रजिस्ट्रेशन का काम कर रही है। बताया जा रहा है कि कंपनी का 88 करोड़ रुपए का भुगतान लंबित है। यही कारण है कि आगे का नहीं हो रहा है।