
सिटी टुडे। ग्वालियर में Private स्कूल संचालकों और Private पब्लिशर्स से लेकर बुक्स और यूनिफार्म Vendors के सिंडिकेट पर पहली बार कलेक्टर श्रीमती रुचिका चौहान जी ने सार्थक प्रयास करते हुए सर्वप्रथम बैठक लेकर पुस्तक मेला लगाए जाने का निर्णय लिया निसंदेह अभिभावकों का दर्द उन्होंने समझा है सिटी टुडे ने पुस्तक मेले में जाकर अभिभावकों से बात भी की अभिभावक मैडम कलेक्टर को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए जिला प्रशासन से बहुत खुश दिखाई दे रहे थे।
जिला प्रशासन द्वारा पुस्तक मेले का आयोजन तो किया गया है लेकिन इस मेले में भी स्कूल संचालक और Private पब्लिशर्स से लेकर बुक्स और यूनिफार्म Vendors ke सिंडिकेट की मोनोपोली जारी है स्कूल प्रबंधन ने जहां रिजल्ट देने के लिए पेरेंट्स टीचर मीटिंग का आयोजन किया तो रिजल्ट देने के साथ बुक्स की डिटेल्स की स्लिप अभिभावकों के हाथ में थमा दी। यही से शिक्षा माफियाओं की मंशा स्पष्ट होने लगती है।
अब स्कूल बुक्स की लिस्ट में आधी किताबें NCERT की है (यह कलेक्टर महोदया की ही सख्ताई के फलस्वरूप संभव हुआ है) परंतु कुछ किताबें CBSE और प्राइवेट पब्लिशर की हैं। अब जब अभिभावक पुस्तक मेले में पहुंचते हैं तो जिला प्रशासन की भूरी भूरी प्रशंसा तो करते है कि चलो पहली बार किसी कलेक्टर द्वारा इन माफियाओं पर जनहित में कार्यवाही करने के लिए कोई सार्थक प्रयास तो किए। लेकिन माफियाओं का सिंडिकेट भी कहां प्रशासन के डर से दुबक कर बैठने वाला था प्रशासन के सख्त निर्देश के बावजूद प्राइवेट पब्लिशर की किताबें स्कूल संचालकों द्वारा अभिभावकों से खरीदवाई जा रही है तो वहीं इस पूरे सिंडिकेट की अहम कड़ी एजेंट वेंडर भी प्रिंट रेट पर ही CBSE और प्राइवेट पब्लिशर की किताबें बेच रहे हैं और तो और हल्के क्वालिटी की नोट बुक्स और रजिस्टर ब्रांडेड कंपनियों के रेट में अभिभावकों को थमाकर एक ही कान को घुमाकर पकड़ते हुए प्रशासन को ही बेवकूफ बनाते हुए अभिभावकों की जेब में सेंध मारने से बाज नहीं आ रहे।
सिटी टुडे को मिली जानकारी अनुसार जहां जिले के कुछ स्कूलों के खिलाफ FIR दर्ज की गई है वहीं वेंडर्स को नोटिस दिए जा रहे है लेकिन इन वेंडर्स के “भारती” तथा “आदर्शवादी” सरगना सभी वेंडर्स को लामबंद कर जिला शिक्षा अधिकारी सहित प्रशासन पर ही दबाव बना रहे है कुल मिलाकर स्कूल संचालकों से जुड़े इस सिंडिकेट को तोड़ना प्रशासन के लिए चुनौती बन चुका है।