
सिटी टुडे। संगठन का जैसे ही कोई आदेश आता था, वे अपना काम धंधा छोड़कर दौरे पर निकल चले जाते थे कभी एक-दो दिन तो कभी पूरा पूरा महीना घर नहीं आते थे संगठन को ही सर्वोपरि मानते थे। इस दौरान उन्होंने अपना पूरा जीवन किसी फक्कड़ की तरह निकाल दिया और जब दुनिया से अलविदा हुए तो अपने परिवार के सिर पर भारीभरकम कर्जे का बोझ छोड़ गए। शोक के समय तो नेताओं ने कर्जा पूरा पटाने के लिए बड़े-बड़े आश्वासन परिजनों को दिए लेकिन अब कोई दरवाजा तकने नहीं पहुंचा इधर बैंक लगातार तगादे कर रहा है घर नीलामी की कगार पर है।
यह दर्द है भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता रहे स्वर्गीय उमेश शर्मा के परिजनों का वैसे तो भाजपा संगठन द्वारा आगामी गुजरात विधानसभा चुनाव में मध्य प्रदेश से 100 से अधिक नेताओं कार्यकर्ताओं की ड्यूटी लगाई गई है इन्हीं में से एक थे स्वर्गीय उमेश शर्मा। गुजरात से चुनावी दौरे कर इंदौर वापस लौटे उमेश शर्मा का दिल का दौरा पड़ने से पिछले दिनों असमायिक निधन हो गया था। उनकी असमय चले जाने से परिवार के साथ साथ इंदौर ही नहीं मध्य प्रदेश स्तर पर पार्टी में शोक की लहर छा गई थी। जिसके बाद भाजपा संगठन के प्रदेश स्तर के लगभग सभी बड़े नेताओं से लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तक स्वर्गीय उमेश शर्मा के निधन पर परिजनों के समक्ष शोक प्रकट करने उनके निजी निवास पहुंचे थे इसी दौरान स्वर्गीय उमेश शर्मा के पार्टी के साथियों द्वारा मुख्यमंत्री सहित अन्य नेताओं को भी शर्मा परिवार की कमजोर आर्थिक स्थिति और एकमात्र फ्लेट पर23 लाख बैंक फाइनेंस होने की बात से अवगत कराया तो मुख्यमंत्री द्वारा परिजनों को आश्वासन दिया कि उनके फ्लैट पर जो भी कर्जा है उसे पाटने में हम सभी पार्टीजन मिलकर सहयोग करेंगे परंतु अब जब परिजनों को बैंक द्वारा लगातार तगादे किए जा रहे हैं और एकमात्र फ्लैट जिसमें पूरा परिवार रह रहा है वह भी नीलामी की कगार पर है तब अब सहयोग करना तो दूर कोई हाल पूछने तो आ नहीं रहा फरियाद लेकर जाओ तो पहचानकर भी अनजान बनते हैं।
अब परिवार के सामने चिंता है कि कैसे बच्चों का भरण पोषण करें और कैसे 23 लाख का भारी भरकम कर्जा पाटकर बैंक को घर नीलाम होने से बचा सके इस हेतु स्वर्गीय उमेश शर्मा के साथियों ने अपनी पार्टी के वरिष्ठ नेतृत्व से पुनः मार्मिक गुहार की है कि शर्मा परिवार के ऊपर आए दुखों के पहाड़ को दूर किया जाए।