May 1, 2025

आज हम आपको अपनी इस खबर में देश के 10 ऐसे रेलवे स्टेशनों के बारे में बताने जा रहे है। जिनकी खूबसूरती देख आप दंग रह जाएंगे। इन रेलवे स्टेशनों पर इतनी हरियाली है। जिन्हें आप निहारते रह जाएंगे।

उत्‍तराखंड का काठगोदाम हो या कर्नाटक का कारवार, भारत के कुछ रेलवे स्‍टेशन इतने हरे-भरे और खूबसूरत हैं कि इन्‍हें निहारते ही रह जाएंगे।

त्रिपुरा के धलाई जिला का एक छोटा सा स्‍टेशन है, अम्‍बासा। सिर्फ 3 प्‍लैटफॉर्म वाले इस स्‍टेशन की खूबसूरती बेमिसाल है। घने जंगलों से भरी पहाड़‍ियों के बीच स्थित यह स्‍टेशन नॉर्थईस्‍ट फ्रंटियर रेलवे जोन में आता है।

नैनीताल से सिर्फ 35 किलोमीटर दूर स्थित काठगोदाम रेलवे स्‍टेशन बेहद हरा-भरा है। यहां से कई मशहूर ट्रेनें गुजरती हैं।

कर्नाटक का कारवार रेलवे स्‍टेशन बेहद खूबसूरत और ग्रीन है। कोंकण रेलवे के तहत आने वाले इस स्‍टेशन से दिल्‍ली, मुंबई, बेंगलुरू समेत प्रमुख स्‍टेशन कनेक्‍टेड हैं।

वल्‍लापुझा रेलवे स्‍टेशन केरल के पलक्‍कड़ जिले में है। यह स्‍टेशन देश की ऐतिहासिक ब्रांच लाइन पर स्थित है। ब्रॉड-गेज की यह रेलवे लाइन भारत में अनूठी है।

कोंकण रेलवे के रूट पर कोई भी ट्रेन यात्रा बेहद दर्शनीय होती है। इस स्‍टेशन पर केवल एक प्‍लैटफॉर्म है। दूधसागर झरने तक पहुंचने के लिए इस स्‍टेशन का यूज होता है।

केरल के मलप्पुरम जिले का चेरुकारा स्‍टेशन भी हरी वादियों से घिरा हुआ है। यह स्‍टेशन भी नीलाम्‍बुर-शोरणुर के बीच की ऐतिहासिक ब्रांच लाइन पर स्थित है। यहां के प्‍लैटफॉर्म तक पर पेड़ लगे हैं।

असम का न्यू हाफलंग रेलवे स्‍टेशन रणनीतिक रूप से बेहद अहम है और खूबसूरत भी। यह गुवाहाटी और सिलचर को जोड़ता है।

पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग जिले का सिवोक जंक्‍शन बेहद खूबसूरत है। महानंदा वाइल्‍डलाइफ सैंक्‍चुअरी में आने वाला यह स्‍टेशन सिवोक रेलवे ब्रिज के ठीक आगे बना है।

महाराष्‍ट्र के उक्षी रेलवे स्‍टेशन पर हरियाली की बहार है। यह स्‍टेशन रणपत फाल्‍स के बेहद करीब है। एक वक्‍त यहीं पर देश की सबसे लंबी रेल टनल हुआ करती थी।

हिमाचल प्रदेश के सोलन में स्थित बडोग रेलवे स्‍टेशन कालका-शिमला रेलवे लाइन पर पड़ता है। 1,531 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह स्‍टेशन अपनी भूतिया कहानियों के लिए भी मशहूर है। स्‍टेशन के पास एक सुरंग है जिसके बारे में कहा जाता है कि यहां डरावनी आवाजें सुनाई देती हैं। बड़ोग रेलवे स्टेशन के पास स्थित यह सुरंग 1903 में बनकर तैयार हुई थी।

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