देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में हर साल करीब 9 से 10 लाख युवा फॉर्म भरते हैं लेकिन इनमें से केवल 0.1 फीसदी अभ्यर्थियों का ही चयन हो पाता है। अभ्यर्थियों की सफलता में कड़ी मेहनत, लगन, धैर्य और दृढ़ता के साथ-साथ टॉपरों के टिप्स भी काफी कारगर साबित होते हैं। इस मुश्किल राह में अनुभवी लोगों की गाइडेंस काफी मायने रखती है। यही वजह है कि यूपीएससी की तैयारी कर रहे अभ्यर्थी अकसर सेमिनार या सोशल मीडिया पर सीनियर आईएएस, आईपीएस, आईएफएस, आईआरएस अफसरों से टिप्स मांगते नजर आते हैं। हालांकि यूपीएससी सिविल सेवा के परीक्षा पैटर्न में समय बीतने के साथ-साथ एक बड़ा बदलाव आया है और मौजूदा परिस्थितियों में कई साल पहले के उम्मीदवारों द्वारा अपनाई गई तैयारी की रणनीति कुछ हद तक अप्रासंगिक हो सकती है।
इसी महत्वपूर्ण पहलू पर प्रकाश डालते हुए सीनियर आईपीएस अधिकारी अरुण बोथरा ने कहा कि दशकों पहले यूपीएससी परीक्षा क्रैक करने वाले सिविल सर्वेंट वर्तमान उम्मीदवारों को परीक्षा संबंधी सलाह नहीं दे सकते। दरअसल सोशल मीडिया पर उनसे बहुत से यूपीएससी छात्र छात्राएं तैयारी के टिप्स मांगते हैं। इसके जवाब में उन्होंने ट्वीट कर लिखा, ‘प्रिय आईएएस अभ्यर्थियों। जो अधिकारी 2-3 दशक पहले सेवा में आए थे, उन्हें परीक्षा के मौजूदा रुझानों और पैटर्न के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है। वे आपको प्रेरित कर सकते हैं लेकिन सलाह देना पूरी तरह से अलग खेल है। कोई भी आपको व्हाट्सऐप पर या डीएम कर कोचिंग नहीं दे सकता है।”
बोथरा की इस बेबाक राय पर कुछ सिविल सेवकों व अन्य यूजर्स की प्रतिक्रियाएं भी आईं। झारखंड की 2011 बैच की आईएएस अधिकारी राजेश्वरी बी ने बोथरा की राय का समर्थन किया और लिखा, ‘आप सही कह रहे हैं सर! कई स्टूडेंट्स सलाह मांगते हैं लेकिन सच तो यह है कि हम पिछले दशक में किए गए बदलावों से अनजान हैं। हम केवल सामान्य सलाह ही दे सकते हैं।” ओडिशा सिविल सेवा के 2015 बैच के अधिकारी बी.स्वीकृति पांडा ने लिखा, “मैं पूरी तरह से सहमत हूं सर!! कोई भी व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से यूपीएससी या ओपीएससी क्रैक नहीं कर सकता है !!”
राजस्थान से ताल्लुक रखने वाले अरुण बोथरा ओडिशा कैडर 1996 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। श्री गंगानगर कॉलेज से ग्रेजुएशन करने के बाद उन्होंने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा पास कर अपना आईपीएस बनने का सपना पूरा किया। उन्हें ओडिशा कैडर अलॉट हुआ। वर्तमान में वह एडिश्नल डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस, सीआईडी, ओडिशा क्राइम ब्रांच के पद पर हैं।
बोथरा सोशल मीडिया पर भी काफी एक्टिव रहते हैं। लॉकडाउन के दौरान उनकी पहल से जिस तरह से ऊंटनी का दूध राजस्थान से मुंबई पहुंचाया गया था, उसकी काफी तारीफ हुई थी। तब लॉकडाउन लगा था और मुंबई में रहने वाली एक महिला को अपने बीमार बच्चे के लिए ऊंटनी के दूध की जरूरत थी। मां ने इसके लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से गुहार लगाई थी। आईपीएस अधिकारी अरुण बोथरा ने कड़ियों से कड़ियां जोड़ते हुए रेलवे और दूध बेचने वाली कंपनी की मदद से बच्चे के घर तक ऊंटनी का दूध पहुंचाया था। इसके अलावा एक आईपीएस अधिकारी के तौर पर उन्होंने कई मिशनों को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। पाटणागढ़ (बोलंगिर) पार्सेल बॉम्ब केस सुलझाने का श्रेय उन्हें ही दिया जाता है।