July 14, 2025
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सुप्रीम कोर्ट ने SC बार काउंसिल के अध्यक्ष और एडवोकेट विकास सिंह (Advocate Vikas Singh) के व्यवहार पर एक बार फिर नाराजगी जताई और तीखी टिप्पणी की। जस्टिस एम.आर. शाह और जस्टिस सी.टी. रवि कुमार की बेंच ने यहां तक कह दिया कि आप बार काउंसिल के प्रेसिडेंट होंगे लेकिन ऊंची आवाज में बात मत करिये… कोर्ट को धमकाने का प्रयास भी मत करिये।

क्या है पूरा मामला?

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एम.आर. शाह और जस्टिस सी.टी. रवि कुमार की बेंच पॉक्सो (POCSO) से जुड़े एक एसएलपी (SLP) की सुनवाई कर रही थी। एसएलपी याचिकाकर्ता की तरफ से पेश सीनियर एडवोकेट और सुप्रीम कोर्ट बार काउंसिल के चेयरमैन विकास सिंह ने कोर्ट के 12 जनवरी के उस आदेश पर निराशा जाहिर की, जिसमें जस्टिस ए. एस. बोपन्ना (Justices A. S. Bopanna) और जस्टिस सी. टी. रवि कुमार की बेंच ने इस मामले में रजिस्ट्री को निर्देश दिया था कि इसे सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) के सामने रखे, ताकि सीजेआई इसे उचित बेंच को भेज सकें।

आदेश में कहा गया था कि इस मसले को जस्टिस एम.आर. शाह और जस्टिस सी.टी. रवि कुमार की संयुक्त बेंच द्वारा सुने जाने की आवश्यकता है, क्योंकि पहले उस बेंच ने अलग-अलग सुना था। इस आदेश पर दलील देते हुए एडवोकेट विकास सिंह ने तर्क दिया कि पहले किसी बेंच ने इस मसले को अलग-अलग नहीं सुना था। बल्कि कुछ वक्त पहले जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस सी.टी. रवि कुमार की बेंच ने मामले के शुरुआती बिंदुओं को सुना था।

एडवोकेट विकास सिंह ने कहा कि यह कैसे कह सकते हैं कि मामले की सुनवाई हुई थी? 5 जनवरी 2023 को जब मैं आया तब मामला जस्टिस शाह और जस्टिस रवि कुमार की बेंच के सामने लिस्ट था, लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई। फिर जस्टिस ए.एम. खानविलकर और जस्टिस सी.टी. रवि कुमार की बेंच ने नोटिस जारी किया था, लेकिन जस्टिस खानविलकर के रिटायरमेंट के बाद मामला जस्टिस बी.आर. गवई और जस्टिस सी.टी. रवि कुमार के सामने लिस्ट हुआ। उसके बाद जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस रवि कुमार के पास गया।

विकास सिंह ने आगे कहा- 5 जनवरी को एक पत्र जारी हुआ और मैं 2 बजे आया, लेकिन उस दिन मामले की सुनवाई नहीं हुई क्योंकि मामला लगा ही नहीं। एडवोकेट विकास सिंह ने आगे कहा, ‘मैं तो जस्टिस बोपन्ना और जस्टिस रवि कुमार के सामने बहस के लिए तैयार था… माननीय अदालत के सामने भी बहस में कोई परेशानी नहीं है…’।

एडवोकेट विकास सिंह के दलील रखने के तरीके पर सवाल उठाते हुए जस्टिस एम.आर. शाह ने कहा कि आप अपनी आवाज ऊंची क्यों कर रहे हैं? इस पर एडवोकेट विकास सिंह ने कहा कि यह इस कोर्ट की प्रैक्टिस नहीं है…। जिस पर जस्टिस शाह ने कहा कि ‘ऊंची आवाज में बात करना भी कोर्ट की प्रैक्टिस नहीं है’। इसके बाद एडवोकेट विकास सिंह ने 12 जनवरी के आदेश पर और बात करने की कोशिश की। जिस पर जस्टिस शाह और नाराज हो गए।

जस्टिस एम.आर. शाह ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि ‘ऊंची आवाज में बात मत करिए… होंगे आप प्रेसिडेंट’। इस पर विकास सिंह ने जवाब दिया ‘यहां प्रेसिडेंट होने या ना होने की बात नहीं है…’। जिस पर जस्टिस शाह ने कहा कि ‘कोर्ट को धमकाने का प्रयास मत करिए…’।

आपको बता दें कि यह पहला मौका नहीं है जब एडवोकेट विकास सिंह को सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी का शिकार होना पड़ा। कुछ वक्त पहले ही चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने भी एडवोकेट विकास सिंह के व्यवहार पर नाराजगी जताई थी और कहा था कि यह मेरी कोर्ट है, मैं जो तय करूंगा, वही प्रैक्टिस होगी…किसी को मुझे डिक्टेट करने का प्रयास नहीं करना चाहिए। कुछ वक्त पहले ही सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और एडवोकेट विकास सिंह के बीच गहमागहमी हो गई थी। तब जस्टिस माहेश्वरी ने कहा था कि उन्हें बार काउंसिल के सीनियर मेंबर से ऐसे व्यवहार की उम्मीद नहीं है।

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