
देश के तमाम हाईकोर्ट (High Court) में वर्चुअल हियरिंग के लिए स्थापित सुविधाओं के ढंग से इस्तेमाल न करने पर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) ने कड़ी नाराजगी जाहिर की है। CJI चंद्रचूड़ ने कहा कि कुछ हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस जानबूझकर वर्चुअल हियरिंग और टेक्नोलॉजी से मुंह मोड़ रहे हैं, उन्हें इसकी जानकारी है।
‘पब्लिक मनी का इस तरह इस्तेमाल नहीं कर सकते’
वर्चुअल हियरिंग को फंडामेंटल राइट (मूलभूत अधिकार) का दर्जा देने से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच ने वर्चुअल हियरिंग और ई-कोर्ट की सुविधा के ढंग से ना इस्तेमाल करने पर कड़ी नाराजगी जाहिर की और कहा कि आप पब्लिक मनी का इस तरह से बेजा इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं।
CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि मुझे पता है कि कुछ हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस वर्चुअल हियरिंग (Virtual Hearing) के लिए जो सुविधाएं बनी थीं, उसे खत्म कर रहे हैं। मुझे इससे बहुत दुख है।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) ने कहा कि यह बहुत डिस्टरबिंग है कि कुछ हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस खुद टेक्नोलॉजी से दूरी बना रहे हैं। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है कि आप टेक्नोलॉजी फ्रेंडली हैं या नहीं। जनता के पैसे का इस तरीके से बेजा इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं। सीजेआई ने कहा कि समस्या यह है कि कुछ चीफ जस्टिस को टेक्नोलॉजी पसंद है और कुछ को नहीं, लेकिन आपको सब कुछ सीखना चाहिए।
मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा कि कुछ चीफ जस्टिस तो तर्क देते हैं कि अगर हम कोर्ट आते हैं तो वकील क्यों नहीं आ सकते हैं। उन्हें समझना चाहिए कि एक जज और एक वकील के काम की परिस्थितियां बिल्कुल अलग अलग हैं।
आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने हाल ही में ई-कोर्ट्स प्रोजेक्ट के लिए 7000 करोड़ रुपए का फंड मंजूर किया है। मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ (Justice DY Chandrachud) ने इस बात का भी जिक्र किया और कहा कि पार्लियामेंट्री कमेटी सुप्रीम कोर्ट आई थी और मैंने खुद 3 घंटे तक उनके सामने सारी बात रखी थी। उसी के आधार पर फंड एलोकेट किया गया। अब हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की जिम्मेदारी है कि इसको और आगे ले जाएं।