CJI DY Chandrachud ने मंगलवार को कहा कि भारतीय न्यायपालिका के सामने सबसे बड़ी चुनौती इंसाफ मिलने को आसान बनाना है। उन्होंने कहा कि सबसे बड़ा चैलेंज न्याय तक पहुंच की बाधाएं दूर करना और यह सुनिश्चित करना है कि न्यायपालिका समावेशी और पंक्ति में आखिरी छोर पर खड़े व्यक्ति के लिए सुगम है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट परिसर के विस्तार की योजना का भी ऐलान किया।उन्होंने यह भी कहा कि अदालतों को सुगम और समावेशी बनाने के लिए प्राथमिकता के आधार पर बुनियादी ढांचे में आमूलचूल बदलाव करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में नई बिल्डिंग बनाने की योजना है जिसमें 27 अतिरिक्त कोर्ट, 4 रजिस्ट्रार कोर्टरूम के साथ-साथ वकीलों और वादियों के लिए पर्याप्त सुविधाएं मुहैया कराना शामिल है। उच्चतम न्यायालय परिसर में सुप्रीम कोर्ट बार असोसिएशन (एससीबीए) की तरफ से आयोजित स्वतंत्रता दिवस समारोह में अपने संबोधन में प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि लक्ष्य एक ऐसा न्यायतंत्र बनाना है जो लोगों के लिए अधिक सुगम और सस्ता हो। इंसाफ की प्रक्रियागत बाधाओं से मुक्ति पाने के लिए प्रौद्योगिकी के सामर्थ्य का दोहन किया जाना है।लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तरफ से दिए गए भाषण का जिक्र करते हुए सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि प्रधानमंत्री ने फैसलों को भारतीय भाषाओं में अनुवाद करने के शीर्ष अदालत के प्रयासों का उल्लेख किया है।प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि अब तक शीर्ष अदालत के 9423 फैसलों का क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद किया गया है।एससीबीए के कार्यक्रम में प्रधान न्यायाधीश के अलावा कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, शीर्ष अदालत के अन्य न्यायाधीश , अटॉनी जनरल आर वेंकटरमणी, एसीबीए के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ वकील आदिश सी अग्रवाल और सचिव रोहित पांडे समेत बार एसोसिएशन के पदाधिकारी मौजूद थे।प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि हर कानूनी शिकायत का समाधान महत्वपूर्ण है और ऐसी शिकायतों की सुनवाई कर अदालतें केवल अपना संवैधानिक दायित्व निभा रही हैं।