लंबे समय के इंतजार के बाद विधानसभा चुनाव से चंद माह पूर्व मध्य प्रदेश भाजपा में भौगोलिक तथा जातीय समीकरणों को साधने की दृष्टि से शिवराज सिंह सरकार द्वारा काफी जद्दोजहद के बाद तीन मंत्रियों को शपथ दिलाकर मंत्रिमंडल का विस्तार किया गया, पिछड़ा वर्ग से दो गौरी शंकर बिसेन तथा राहुल लोधी तथा सवर्ण वर्ग से ब्राह्मण नेतृत्व को मजबूत करने के उद्देश्य से राजेंद्र शुक्ला को मंत्री तो जरूर बनाया गया है परंतु अभी तक इनको कोई विभाग नहीं दिया गया एक बात और है कि मंत्रिमंडल में कोई अनुसूचित जाति, जनजाति का मंत्री शामिल किया गया जिसके कि कयास लगाए जा रहे थे।
राजनीतिक आधार पर मंत्रिमंडल विस्तार के बाद भाजपा के अंदर ही प्रहलाद पटेल के अलावा अनुसूचित जाति जनजाति के दावेदार भी विद्रोही तेवर अख्तियार कर अब खुलकर सामने आ चुके हैं। कांग्रेस तथा भारतीय जनता पार्टी में आया राम गया राम पर भी भारतीय जनता पार्टी द्वारा दिल्ली से ही अनुमति दिए जाने के बाद ही कांग्रेस से भारतीय जनता पार्टी में प्रवेश दिया जा रहा है. भारतीय जनता पार्टी के मध्य प्रदेश संगठन में ऐसी क्या जरूरत पड़ गई के दो-दो केंद्रीय मंत्रियों को मध्य प्रदेश की चुनावी बागडोर सौंपते हुए चुनाव प्रबंधन समिति का अध्यक्ष केंद्रीय मंत्री तथा पूर्व प्रदेश अध्यक्ष चुनावी प्रबंधन में माहिर नरेंद्र सिंह तोमर को अध्यक्ष बनाया गया भाजपा की इस प्रक्रिया में राष्ट्रीय संगठन महासचिव को भी चुनावी प्रबंधन से दूर कर लाइन अटैच कर दिया। शायद मध्य प्रदेश में भा.जा.पा संगठन के अंदर प्रदेश स्तर पर गुटबाजी को समाप्त करने का नरेंद्र सिंह तोमर का सार्थक प्रयास है।
अब मध्य प्रदेश में नए मंत्रियों को चार दिन बाद भी कोई विभाग आवंटित न किया जाना भी एक सवालिया निशान खड़ा करता है। सिटी टुडे को प्राप्त जानकारी अनुसार इन मंत्रियों को विभाग वितरण की राजनीति का फैसला अब केंद्र के नेता अर्थात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गृहमंत्री अमित शाह, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की कोर कमेटी से चर्चा करने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान दिल्ली पहुंच चुके हैं उनसे चर्चा तथा सहमति उपरांत भोपाल आने के बाद मुख्यमंत्री विभागों का वितरण करेँगे.
प्राप्त जानकारी अनुसार राजेंद्र शुक्ला को कोई महत्वपूर्ण विभाग की जिम्मेदारी सौँपकर किसी से सम्भाग स्तर के जिले का प्रभारी बनाया जा सकता है।