मध्य प्रदेश के गांवों में एक गंभीर समस्या उत्पन्न हो रही है। सूखे का मंडराता खतरा बढ़ रहा है। किसानों का कहना है कि अगर बारिश की पर्याप्त मात्रा में नहीं होती है, तो फसल पर बुरा असर पड़ सकता है। किसानों में हाहाकार मचा हुआ है तो ग्रामीण इलाकों में हालत बिगड़ने लगे हैं। अशोकनगर में कई तालाबों में पानी 20 प्रतिशत ही बचा है और अशोकनगर जिले को सूखाग्रस्त घोषित करने की मांग उठ रही है।
जल की सबसे महत्वपूर्ण उपाधि के रूप में सिंचाई आती है। सिंचाई के बाद आने वाली बारिश भी फसल के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण होती है। सिंचाई के बाद बारिश होने से फसल की वृद्धि होती है, लेकिन इस बार बारिश की कमी बढ़ते सूखे के खतरे की घण्टी है।
मौसम विभाग के अनुसार, कई जिलों में सामान्य से कम बारिश दर्ज की गई है। झाबुआ, अलीराजपुर, धार, बड़वानी, खरगोन, खंडवा, मंदसौर, आगर मालवा, शाजापुर, राजगढ़, गुना, अशोक नगर, भोपाल, ग्वालियर, छतरपुर, दमोह, सतना, रीवा, सीधी, सिंगरौली, बालाघाट, नीमच, उज्जैन, सीहोर, और टीकमगढ़ जिले में सूखे का खतरा दिखाई दे रहा है।
बारिश की प्रतीक्षा
किसानों की आशा बारिश में है। बारिश के बिना सोयाबीन की फसल पर भारी नुकसान हो सकता है। अगर एक-दो दिनों में बारिश नहीं हुई, तो फसल पर नकरात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
सोयाबीन की फसल के साथ ही गेहूं की फसल भी संकट में है। बिना पर्याप्त बारिश के, गेहूं की फसल पर भी बुरा प्रभाव पड़ सकता है। जलस्तर की कमी के कारण पानी की भारी कमी हो सकती है, जिससे फसल को हानि हो सकती है। जिन किसानों ने धान की रोपाई की है उनकी फसल भी मुरझाने लगी है। प्रगतिशील किसान जोगिंदर सिंह का मानना है कि कम से कम एक पखवाड़े और ठीक-ठाक बारिश नहीं हुई तो धान की फसल चौपट हो जाएगी।