सिटी टुडे। 1988 बैच के सीनियर आईपीएस अफसर कैलाश मकवाना के लिए अच्छी खबर है। सीएम ने उनकी इमानदारी को 10 में से 10 नंबर दिए हैं। यह मकवाना के लिए बड़ी जीत है, अब सीनियर आईपीएस अफसर कैलाश मकवाना DGP के लिए दावेदारी कर सकते हैं। इसी साल के अंत तक एमपी के डीजीपी सुधीर सक्सेना का रिटायरमेंट होना है। ज्ञात हो कि सीनियर आईपीएस मकवाना की छवि एक ईमानदार दबंग अफसर की है और उन्हें रिजल्ट देने वाला अफसर माना जाता है।
DGP की दौड़ में शामिल मकवाना की CR कैसे हुई 6 माह में खराब
आखिर जिस अफसर की 35 साल की बेहतर रही है, उसका 6 महीने का लोकायुक्त डीजी का कार्यकाल कैसे खराब हो सकता है ?
दरअसल मकवाना के तेवर से प्रदेश के बड़े साहबों में खौफ का माहौल था। कई बड़े अधिकारियों की मकवाना ने गर्दन पकड़ ली थी। इसके बाद सरकार में बेचैनी बढ़ गई थी। एक खेमे ने मकवाना के खिलाफ लॉबिंग शुरू कर दी थी। दरअसल मकवाना ने सीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट महाकाल लोक में भ्रष्टाचार की जांच शुरू कर दी थी। साथ ही लंबे समय से पड़ी शिकायतों की पुरानी फाइलों को खोलना शुरू कर दिया था। इसी के चलते उनकी CR दुर्भवनापूर्ण खराब की गई थी।
यहां बता दें, सीआर खराब होने के बाद मकवाना ने राज्य सरकार को दिसंबर के तीसरे सप्ताह में अपना रिप्रजेंटेशन देकर कहा कि उनकी सीआर मेलाफाईड इंटेशन के चलते खराब की गई है, इसे सुधारा जाए।
ऐसे बिगड़ा था मामला
दरअसल, रीवा के एक डॉक्टर के खिलाफ स्थानीय लोकायुक्त पुलिस ने आय से अधिक संपत्ति का फर्जी मामला बनाया था। बाद में यह मामला 7 साल तक पेंडिंग रहा। सूत्र बताते हैं कि लोकायुक्त संगठन ने इस मामले को खोलकर डॉक्टर के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज करने को कहा, इस पर तत्कालीन लोकायुक्त डीजी मकवाना ने इनकार कर दिया। मकवाना का कहना था कि ये शिकायत 7 साल से पेंडिंग है, इसमें एक बार भी जांच नहीं की गई। ऐसे में बिना जांच के किसी के खिलाफ प्रकरण बनाना ठीक नहीं है। मकवाना ने इस मामले की जांच करवाई तो वो शिकायत झूठी मिली और डॉक्टर को क्लीनचिट मिल गई। इसके बाद से लोकायुक्त और डीजी मकवाना में ठन गई। इसके बाद रोजाना के काम काज को लेकर आए दिन तनातनी होने लगी। सूत्र ये भी बताते हैं कि लोकायुक्त ने तत्कालीरन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से कहकर 6 माह में ही मकवाना को लोकायुक्त डीजी पद से हटवा दिया।