पत्रकारिता जनसंचार और जनजागरण का माध्यम बने, जनसंपर्क का नहीं :प्रो. (डॉ)के.जी. सुरेश
इंदौर। पत्रकारिता लोगों तक समाचार पहुंचाने और जन-जागरण का माध्यम बने, लेकिन किसी भी व्यक्ति या पार्टी के जनसंपर्क का माध्यम न बने। सरकारें बनाना या गिराना मीडिया का काम नहीं है। पत्रकारिता आज भी समाप्त नहीं हुई है सिर्फ अच्छी पत्रकारिता की लोगों तक पहुंच थोड़ी मुश्किल हुई है।
ये बातें माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. (डॉ )केजी सुरेश ने स्टेट प्रेस क्लब, मध्यप्रदेश द्वारा आम चुनावों में मीडिया की भूमिका विषय पर आयोजित परिसंवाद में मुख्य वक्ता के रूप में कहीं। उन्होंने कहा कि पाठक के मन में किसी पत्रकार को लेकर यह जिज्ञासा होना चाहिए कि उसने ‘क्या” लिखा है, यह जिज्ञासा नही होनी चाहिए कि ऐसा उसने ‘क्यों” लिखा है। आज त्रासदी यह है कि ज्यादातर मीडिया हाउस ग्राउंड रिपोर्टिंग के लिए खर्चा करने के लिए तैयार नहीं हैं। दिल्ली में बैठकर पूरे देश की खबरें तैयार की जाती हैं। लाइब्रेरी जाने या संदर्भ रखने की परंपरा भी समाप्त हो गई है। उन्होंने श्री रामनाथ गोयनका पत्रकारिता सम्मान के निर्णायक बतौर अपने तीन वर्षों के अनुभव से कहा कि अच्छी पत्रकारिता समाप्त नहीं हुई, सिर्फ उस तक पहुंच मुश्किल हुई है। आज भी रवीश कुमार का कार्यक्रम पूरे देश एनडीटीवी के ऐप की व्यूअरशिप से ज़्यादा देखा जाता है। उन्होंने कहा कि मीडिया पार्टियों के प्रदर्शन, उनके द्वारा किए गए वादों के पूरा होने की स्थिति, प्रत्याशियों की पृष्ठभूमि आदि की जानकारी देकर जागरूकता बढ़ाएं लेकिन जनता की ओर से सोचने का काम कतई ना करें। 1977 में इमरजेंसी के बाद जनता के बिना सोशल मीडिया की ताकत या संगठित प्रयास के भी उसे क्या करने है, यह तय करने का विवेक दिखाया था। आज पत्रकारिता पक्षकारिता में बदल रही है, इसलिए गोदी मीडिया जैसी तोहमतें झेलनी पड़ती हैं। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि चुनावी पत्रकारिता का उद्देश्य किसी पार्टी की जीत नहीं बल्कि देश और लोकतंत्र की जीत होनी चाहिए।
इससे पूर्व विशेष वक्ता के रूप में अपने उद्बोधन में वरिष्ठ पत्रकार श्री रमण रावल ने कहा कि राजनीतिक पत्रकारिता आसान नहीं होती। किसी दल या नेता अथवा मुद्दे के जनता पर असर का विश्लेषण भी करना होता है और किसी का पक्ष ना लेने की दुविधा भी रहती है, वरना पत्रकार पर ठप्पा लगने का अंदेशा रहता है। उन्होंने 2018 में मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने की एक्सीडेंट बताते हुए कहा कि कांग्रेस का ग्राफ लगातार नीचे गया है तथा इन चुनावों में जनमानस में किसी विशेष फर्क का कोई कारण नज़र नहीं आता।
स्टेट प्रेस क्लब, मध्यप्रदेश द्वारा एमसीयू के साथ पत्रकारों के लिए विशेष दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन विगत दिनों किया गया था जिसके प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र भी इस आयोजन में डॉ. सुरेश ने प्रदान किए। उन्होंने कहा कि वे पूरे देश में अपने व्याख्यान के दौरान ऐसे आयोजनों में भाग लेने के लिए आमंत्रण देते हैं लेकिन जिस तत्परता से स्टेट प्रेस क्लब, मप्र ने इस कार्यशाला के लिए हामी भरकर तैयारी की वह अद्धभुत था। यह विश्विद्यालय द्वारा अलग अलग मीडिया संस्थानों के प्रतिनिधियों के लिए आयोजित पहली कार्यशाला थी और इस मायने में ऐतिहासिक थी। उन्होंने इस आयोजन के लिए क्लब के अध्यक्ष की भूरि-भूरि प्रशंसा की। प्रारंभ में अतिथियों का स्वागत प्रवीण खारीवाल, अजय भट्ट, गणेश एस.चौधरी, सोनाली यादव, मोहनलाल मंत्री, कृष्णकांत रोकड़े, सुनील वर्मा एवं शान ठाकुर ने किया। स्वागत उद्बोधन श्री प्रवीण कुमार खारीवाल ने दिया। कार्यक्रम का संचालन आलोक बाजपेयी ने किया जबकि आभार प्रदर्शन कार्यक्रम की संयोजिका रचना जौहरी ने किया।