- मुख्यमंत्री के बिना संज्ञान कंपनी का बढ़ाया कार्यकाल
- प्राइवेट कम्पनी द्वारा अवैध वसूली धडल्ले से जारी
- आखिर क्यों है मौन ट्रांसपोर्ट कमिश्नर, डिप्टी कमिश्नर?
सिटी टुडे। मप्र परिवहन विभाग के सभी 16 इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट BOT परियोजना के अंतर्गत MPRDC ने एक निजी कम्पनी को वर्ष 2011 में अत्याधुनिक सुविधा उपलब्ध कराने व तथा 13 वर्ष की अवधि में बैरियर की व्यवस्थाओं व परिवहन विभाग के साथ तालमेल कर संचालित कर कार्य करने का दायित्व सौंपा गया था जिसके एवज में तौल कांटो के माध्यम से कंपनी द्वारा मालवाहको से निर्धारित दरों के अनुसार नियत राशि वसूलने की छूट दी गई थी उक्त कार्यकाल 5 जनवरी 2024 में समाप्त होने के बाद बिना मुख्यमंत्री के संज्ञान के पूरे मध्यप्रदेश में एक वर्ष अतिरिक्त बढ़ा दिया गया साथ ही मध्यप्रदेश भर के सभी इंटेग्रेटेड चेकपोस्ट के मालवाहको के आवागमन पर बिना किसी देर किए 10 से 18 लाइने अपडाउन के लिए बढ़ाई गई जिनपर तौल कांटा अनिवार्य है परन्तु निजी कम्पनी और विभाग के वरिष्ठ जिम्मेदार अधिकारियों की सांठगांठ ही है कि उक्त सभी चेकपोस्ट पर 4 और कभी कभार 6 लाइने ही अपडाउन के लिए खोली जाती हैं वहीं सुचारु आवागमन भवन बाध्य अवरोध से अचिंत होकर स्वार्थों की पूर्ति के लिए तौल कांटे खराब होने का बहाना बनाकर सियानी बिल्ली की तरह में कम्बल ओढ़कर मोटी मलाई निगलकर शासन प्रशासन ही नहीं परिवहन विभाग को भी राजस्व हानि पहुंचाने के उद्देश्य से कर्मचारी मैनुअल (हस्तलिखित) रसीद काटकर वैध-अवैध भारी मालवाहक वाहनों से बिना मोटर व्हीकल एक्ट का पालन करवाए बंद लाइनों से आवागमन की बेरोकटोक आवक जावक की छूट देते हुए शासन प्रशासन को भारी भरकम चूना ललगाकर निरन्तर करोड़ो अरबों की अवैध वसूली भी की जा रही है जिसके प्रमाण सिटी टुडे के पास संरक्षित है जो जल्द ही भ्रष्टाचार के खिलाफ इस जंग के क्रमशः आगामी प्रकाशनों में जारी किए जावेंगे उक्त भृष्ट कृत्य शासन प्रशासन ही नही सरकार भी बदनाम हो रही है जिससे परिवहन विभाग से जुड़े छोटे बड़े व्यवसायी भी प्रभावित जो रहे है।
सिटी टुडे को प्राप्त जानकारी के अनुसार कई चेकपोस्ट पर तैनात निरीक्षकों द्वारा आयुक्त एवं अपर आयुक्त प्रवर्तन को इस बात से वाकिफ कराया गया परन्तु इसके लिए किसी ने भी विभाग को राजस्व की हानि की परवाह किए बिना ही कंपनी के कर्मचारीओं ने सम्पूर्ण परिवहन विभाग पर हावी होकर स्वयं के रसूख का भय दिखाया लगातार दिखाया जा रहा है।
सूत्रों अनुसार अपर आयुक्त प्रवर्तन के पद पर मुस्तेद अब तक दबंग छवि रखने वाले मप्र पुलिस के होनहार वरिष्ठ अधिकारी उमेश जोगा पोस्टिंग के 48 दिन बाद भी मप्र के किसी एक इंटेग्रेटेड चेकपोस्ट पर निरीक्षण करने नही पहुँच सके हैं। जहां तक मुख्यालय ग्वालियर की सीमा (35 से 126 किलोमीटर) के दायरे में चार चेकपोस्ट है लेकिन आज दिनांक तक 48 दिन के कार्यकाल में कुल 21 दिन मुख्यालय ग्वालियर में रहकर स्वयं को सर्वश्रेष्ठ ईमानदार साबित करने में शेष समय गुजारते हुए कंबल के नीचे से मलाई निगलने के लिए भोपाल और ग्वालियर के बीच फुटबॉल के पीछे दौड़कर यह कहकर कि मेरे हाथ में कुछ नहीं है हाथ खड़े करके गोल बचाव करने की बजाए चुनावी प्रबंधन समीकरण के विपरीत मुख्यमंत्री को बदनाम करवाने का ठीकरा अपने सिर पर उठाए जा रहे हैं।
शेष अगले अंक मे…….