मध्य प्रदेश परिवहन विभाग में सर्वाधिक विवादित चर्चित निरीक्षक के पी अग्निहोत्री से विभागीय आयुक्त तथा उनके अधीनस्थ वरिष्ठ अधिकारी भी भयभीत रहते हैं अगर उसके विरुद्ध कोई कार्रवाई करने के लिए नोटिस अथवा प्राथमिक जांच हो या मन माफिक स्थानांतरण न होने से वह तत्काल उच्च न्यायालय की शरण में जाकर स्थगन आदेश लाने में सफल रहता है विभागीय सूत्र अनुसार 2012 में जब निरीक्षक अग्निहोत्री का स्थानांतरण कमाऊ पोस्ट खवासा चेक पोस्ट से अन्य स्थान पर कर दिया गया कर दिया गया तो वह उच्च न्यायालय खंडपीठ जबलपुर में WP 8324/12 इस आधार पर स्थगन प्राप्त कर लिया कि वह अपनी पत्नी के घुटनों का इलाज नागपुर में करवा रहा है इसी आधार पर समय भी बढवा लिया।
प्राप्त जानकारी अनुसार उच्च न्यायालय से 2012 से 10 साल के अंदर करीब आठ बार विभागीय विभिन्न आदेशों के विरुद्ध स्थगन हासिल करने में सफल रहा यहां तक के प्रभारी जिला परिवहन अधिकारी राजगढ़ के रहते इसकी लापरवाही के कारण अवैध वाहनों के संचालन होने से 15 स्कूल छात्र-छात्राओं की दुर्घटना में मौत के बाद जिला कलेक्टर के निर्देश पर जांच उपरांत राजगढ़ थाना पुलिस ने 120 ब का अग्निहोत्री के विरुद्ध पुलिस मुकदमा पंजीकृत किया गया जिला न्यायालय से इनका जमानत आवेदन रद्द हुआ परंतु न जाने उच्च न्यायालय में किस मजबूत रहस्यमय तर्कों से इंदौर खंडपीठ MCRC 658/17+ 13077/16 ने अग्निहोत्री के विरुद्ध पंजीवद प्रकरण को रद्द कर दिया।
अग्निहोत्री ने शासकीय सेवा में रहते हुए विवाहित पत्नी को बिना तलाक दिए दूसरी शादी भी कर ली परंतु विभाग उस पर मौन रहा हाल ही में कैंसर पीड़ित विवाहित पत्नी ने पारिवारिक प्रताड़ना से दुखी होकर इंदौर के पुलिस थाना कनाडीया के अंतर्गत अपने निवास में आत्महत्या कर ली उस प्रकरण को भी निरीक्षक अग्निहोत्री रफा दफा करवाने में समाचार लिखे जाने तक प्रयासरत है इसीलिए किसी दबाव के कारण जांच अधिकारी भी निष्पक्ष जांच करने में हिचक रहा है।
अपनी सेवा पुस्तिका में जन्मतिथि मे मुख्यालय में बैठे 18 साल से एक ही सीट पर बाबू के साथ मिलकर छेड़खानी करने के अलावा कई गंभीर आरोपो की जांच भी अग्निहोत्री के विरुद्ध विभागीय अधिकारी करने में डरते हैं।