सिटी टुडे। विंध्याचल के अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय रीवा के दायरे में आने वाले 25 से अधिक कॉलेज ऐसे हैं, जो बॉर कांउसिल आफ इंडिया के पैरामीटर पर खरे नहीं उतर पाए। इन महाविद्यालयों से लॉ की पढ़ाई करने वाले और डिग्री ले चुके युवाओं को अदालत में मी-लार्ड कहने की इजाजत स्टेट बार काउंसिल नहीं दे पा रहा है। दरअसल विंध्य क्षेत्र के कॉलेज येन-केन प्रकारेण एपीएसयू रीवा से सम्बद्धता का जुगाड़ करके एलएलबी की डिग्री तो बांट रहे हैं, लेकिन अधिकांश बीसीआई के नार्म्स के तहत संचालित नहीं हैं।
कॉलेजों मे मौजूद खामियों को विश्वविद्यालय प्रशासन भी स्वीकार करता है और अब इस मामले में सख्ती बरतने की बात करता है। हैरानी की बात तो यह है कि विवि के यूटीडी में संचालित लॉ पाठ्यक्रम में ही बीसीआई के पैरामीटर का पालन नहीं हो रहा है। ऐसे में विश्वविद्यालय प्रशासन स्वयं संदेह के दायरे में है। अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय के क्षेत्र में संचालित महाविद्यालयों में से 30 में एलएलबी की स्नातक डिग्री का कोर्स चलता है। जिसमें कई सौ युवा छात्र-छात्राएं अध्ययन कर रहे है, और सैकड़ों की संख्या में डिग्री ले चुके हैं।
इन डिग्री धारियों और पढ़ाई करने वालों युवाओं की विडंबना यह है कि इस डिग्री की वैधानिकता पर ही प्रश्न चिन्ह लग गया है। देश के सुप्रीम कोर्ट की सख्ती और बॉर काउंसिल ऑफ इंडिया के बनाये रूल्स इन डिग्रीधारियों पर भारी पड़ रहा है। आलम यह है कि अकेले रीवा जिले में 400 युवा डिग्री लेने के बाद अदालतों में प्रैक्टिस की इजाजत के लिए स्टेट बॉर काउंसिल के दरवाजे पर दस्तक दे रहे हैं, लेकिन पंजीयन मिलने के आसार नजर नहीं आते हैं। इनमें से कुछ युवाओं ने उच्च न्यायालय में याचिका भी लगा रखी है।
यहां मिल रही लॉ की डिग्री
अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय के यूटीडी विभाग के अलाव विधि महाविद्यालय रीवा, शासकीय विवेकानंद महाविद्यालय त्यौंथर नेहरू स्मारक कालेज चाकघाट, जनता कालेज जनेह, ईश्वर चंद महाविद्यालय जवा, श्रीयुत महाविद्यालय गंगेव, पेंटीयम प्वाइंट कालेज करहिया, शासकीय शहीद केदार नाथ कालेज मऊगंज, रामसुंदर स्मृति कालेज पहडिया, शासकीय कालेज सतना, सीधी, सिंगरौली, मैहर जिले मिलाकर करीब 30 कालेज है, जिनमें बीएएलएलबी और एलएलबी के पाठ्यक्रम चल रहे हैं।