सिटी टुडे। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता, मप्र भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रहे श्री प्रभात झा जी नहीं रहे। आज प्रातः 5 बजे उन्होंने गुरुग्राम में मेदांता अस्पताल में अंतिम सांस ली। वे लंबे समय से अस्वस्थ चल रहे थे तथा विगत 26 दिन से मेदांता में भर्ती थे।
श्री प्रभात झा जी का जन्म 4 जून 1957 को ग्राम हरिहरपुर, दरभंगा, बिहार में हुआ था जिसके बाद उनका परिवार ग्वालियर आ गया था। प्रभात जी की प्रारंभिक से उच्च शिक्षा ग्वालियर में ही हुई। इसके बाद प्रभात जी पत्रकारिता के क्षेत्र में संघर्षशील रहकर समाजसेवा को समर्पित रहे तत्पश्चात् पत्रकारिता को अलविदा कह राजनीती के क्षेत्र में आए इस दौरान प्रभात जी मप्र भाजपा के अध्य्क्ष रहे, राज्यसभा सांसद रहे, भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी रहे।
Gwalior भाजपा के वरिष्ठ नेता राज चड्ढा जी कहते हैं कि विश्वास नहीं होता, प्रभात नामक सूर्य भरी दोपहरी में अस्त हो गया। हज़ारों बहिनों का भाई रक्षा बंधन से पहले ही चल बसा।लाखों नौज़वानों के दोस्त ने जाते हुए विदा भी नहीं ली।बहुतेरे अभी भी तुम्हारे दरवाज़े पर इस आस से खड़े हैं कि तुम्हारे एक फ़ोन से उनका बरसों से रुका काम हो जायेगा।
शून्य से शिखर तक पहुँचने वाले इस नायक के साथ इतनी यादों की ऊन का गोला उलझा है कि समझ ही नहीं आ रहा कि इसका सिरा कहाँ से पकडूँ।
वो कंधे पर झोला लटका कर पैदल घूमता प्रभात। “स्वदेश” से मिली लूना को लेकर सबसे पहले मुझे दिखाने मेरी दुकान पर आया प्रभात। रात 12 बजे के बाद रतन कॉलोनी स्थित मेरे निवास की डोर बेल बजा कर मेरी माँ से जो कहता था,माँ जी क्या रखा है रसोई में, जल्दी से लाओ, बहुत भूख लगी है” वाला या फटे कुर्ते और टूटी चप्पल से सारा शहर नाप आने वाला प्रभात। हज़ारों टेलीफ़ोन नंबर कंठस्थ रखने वाला प्रभात।दीवाली पर अपने हाथ से लिखे हज़ारों पत्र भेज कर सबकी मंगल कामना करने वाला प्रभात।
देखते ही देखते मुखर्जी भवन लष्कर से भोपाल, रायपुर, नई दिल्ली के भाजपा कार्यालयों में अपनी मेहनत, मिलनसारिता, स्मरण शक्ति और सम्पर्क का लोहा मनवाने वाला प्रभात।
फिर राज्यसभा से लेकर राष्ट्रीय उपाध्यक्ष तक की ऊँचाई छूने वाला प्रभात, आज सब याद आ रहा है।
एक एक कर सबका उल्लेख करने का प्रयास करूंगा। अभी तो इतना ही कहूंगा तुम धोखा दे गए मेरे दोस्त। मेरे भाई। अभी उस दिन ही तो तुमने कहा था ” राज भाई साहब, घर आता हूं, आपसे बहुत सी बातें करना हैं।”
बिना आये, बिना मिले चले गए मेरे अनुज! तुम तो अचानक आ धमकते थे, अचानक चले भी जाओगे, ऐसा तो न सोचा था।
हार्दिक श्रद्धांजलि! आत्मीय स्मरण!! मेरे प्रभात जी! 😭