
आबकारी विभाग के अधिकारियों तथा शराब ठेकेदारों की हम जोड़ी के कारण ठेकेदारों द्वारा कोषालय में कुटरचित बैंक चालान के माध्यम से विभाग को करोड़ों रुपए की हानि पहुंचने का मामला 2017 में उजागर हुआ था तब संबंधित शराब ठेकेदारों तथा अधिकारी एवं कर्मचारियों के विरुद्ध 11 अगस्त 2017 को इंदौर के रावजीनगर थाने में प्रकरण दर्ज कर विभागीय जांच भी शुरू की गई थी।प्राप्त जानकारी अनुसार उसे समय विभाग द्वारा 41 करोड़ 65 लाख 21 हजार रुपए नुकसान का आकलन किया गया था परंतु जब विभागीय जांच समिति ने अपना प्रतिवेदन प्रस्तुत किया तब यह आकलन 71 करोड़ पैसे अधिक राशि का नुकसान पाया गया परंतु आयुक्त के निर्देश पर जब विभाग के वित्तीय अधिकारियों से इस बाबत अभीमत लिया गया तो वह इससे सहमत नहीं बताए गए। बताया जाता है कि इस प्रकरण में अलग-अलग अभिमत होने के कारण आयुक्त आबकारी द्वारा अपर संचालक वित्त के साथ एक कमेटी बनाकर विभाग को हुए नुकसान की वास्तविक गणना करने के लिए निर्देशित किया गया है इस बीच 22 करोड़ पैसे अधिक की राशि वसूली की जा चुकी है शेष राशि के लिए आरआरसी तो जारी करी जा चुकी है परंतु वित्त अधिकारियों के अलग अभी मत होने के कारण वसूली नहीं की जा पा रही सिटी टुडे को प्राप्त जानकारी अनुसार इस प्रकरण में रक्षक ही भक्षक बना एक सहायक आयुक्त जिनके कार्यकाल में यह सब कुछ हुआ था वह अभी भी इंदौर में ही पदस्थ होकर इस जांच को प्रभावित करने में लगा हुआ है।