सिटी टुडे। शक्कर कारखाने के पुन: संचालन को लेकर क्षेत्र के किसान, कर्मचारी, व्यापारी, मजदूरों में आस जागने लगी है। फैक्ट्री के संचालन के लिए बनाई कंपनी को एक्सिस बैंक द्वारा 50 करोड़ की लिमिट बनाए जाने की सहमति प्रदान कर दी गई है। वर्षो से बंद पड़े कैलारस शुगर सहकारी कारखाना चालू करवाने के लिए समाजसेवी, सहकार को किसानों के हित में मजबूत करने वाले श्री एमडी पाराशर के नेतृत्व में किसानों के सहयोग से सार्थक सफलता मिली है।
यहां बता दें कि वर्ष 2008 में बंद हुई कैलारस शक्कर कारखाने को पुन: चालू करने को लेकर प्रत्येक चुनाव में राजनीतिक दलों का मुद्दा रहा, लेकिन क्षेत्र के किसान, व्यापारी, मजदूर,कर्मचारियों ने इसे पुन: चलाने के लिए मन बनाया और कारखाने के पूर्व मुख्य महाप्रबंधक श्री एमडी पाराशर एवं गन्ना विशेषज्ञों के साथ प्लानिंग की गई।
कैलारस शक्कर कारखाने की स्थापना वर्ष 1972 में हुई थी जिसमें लगभग 1200 कर्मचारी कार्यरत थे एवं 5 हजार किसान गन्ना पैदा करते थे एवं करोड़ों का टर्नओवर था। इसका इस्तेमाल कैलारस, जौरा, सबलगढ़ के बाजारों में होता था और प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से हजारों परिवारों को रोजी रोटी मिलती थी। वर्तमान में कारखाने पर किसान, कर्मचारियों पर अन्य देनदारिया मिलाकर लगभग 20 करोड़ का कर्ज है जिसे चुकता कर कारखाने को प्रारंभ किया जा सकता है। क्षेत्र के लोग उत्साहित हैं कि कब कारखाना चालू हो और क्षेत्र की खुशहाली लोटे।
श्री एमडी पाराशर जी ने सिटी टुडे को जानकारी देते हुए बताया कि भारतीय गन्ना अनुसंधान केंद्र लखनऊ के वैज्ञानिक डाक्टर एस एन सिंह का पत्र मिला है उन्होने मुरैना मे 16000 हेक्टेयर मे चम्बल नहर से सिचाई व पर्याप्त भूजल उपलब्धता के आधार पर कैलारस मे 3500 मेट्रिक टन प्रतिदिन पिराई क्षमता के कारखाने से सफलता पूर्वक उत्पादन का मतव्यक्त किया है,उन्होने लिखा है अब गन्ने से शक्कर के अलावा इथानाल बिजली बायोगैस आदि के मोलासिस से पोटाश का उत्पादन भी होने लगा है। अगर यह कारखाना चलेगा तो हजारो लोगो को रोजगार के साथ किसानो आमदनी सुनिश्चित व दुगुनी कर क्षेत्र मे समृद्धि और खुशहाली आयेगी।