
बिहार में अब सिर्फ एफआईआर पर नहीं होगी चार्जशीट, डीजीपी ने कहा- जांच के बाद ही करें निर्णय डीजीपी ने कहा कि लोग रंजिश के कारण गलत नामों को एफआईआर में जुड़वा देते हैं. अनुसंधान पदाधिकारी आसान तरीका अपनाते हुए नामजदों पर चार्जशीट लगा देते हैं. यानि पहले गलत नाम आये उसी पर कार्रवाई कर दी गयी, यह नहीं होना चाहिये।
बिहार के नए डीजीपी राजविंदर सिंह भट्टी ने बुधवार को पुलिस मुख्यालय से बिहार पुलिस के रेंज आइजी से लेकर थानेदार स्तर के पुलिस पदाधिकारियों को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि पुलिस सोशल मीडिया के जरिये अच्छी छवि के साथ पब्लिक तक पहुंचेगी. अगले 10 दिनों में हर जिले और बटालियन इस पर काम करेंगे. केवल अच्छे काम करने वाले अफसर और सिपाही का काम इस पर दिखाया जायेगा. लॉ एंड ऑर्डर को लेकर एडवांस प्लान बनेगा, धरना प्रदर्शन , जुलूस तक को लेकर पुलिस तैयार रहेगी. पुलिस, आइबी और स्टेट इंटेलिजेंस की रिपोर्ट के आधार पर एक्शन प्लान बनेगा. भ्रष्टाचार करने वालों से कोई समझौता नहीं होगा.
प्रोटोकाल का सभी रखेंगे ध्यान, एसएसपी सीधे मुख्यालय नहीं भेजेंगे पत्र सभी को सम्मान और जिम्मेदार के नियम का पालन करना होगा. हैरारकी का उल्लंघन करने वाले दंडित होंगे. डीजीपी ने एसएसपी- एसपी किसी भी तरह की समस्या आदि को लेकर पुलिस मुख्यालय को सीधे रिपोर्ट नहीं करेंगे. रेंज आइजी- डीआइजी के माध्यम से ही पुलिस मुख्यालय को अवगत कराया जायेगा. हालांकि, यदि पुलिस पदाधिकारियों को किसी भी तरह व्यक्तिगत शिकायत है तभी वह मुख्यालय आ सकते हैं. सभी पुलिसकर्मियों को समन्वय स्थापित कर काम करने की जरूरत है.
पुलिसकर्मियों पर छोटी- छोटी बातों पर नहीं होगी कार्रवाई थानेदार- दारोगा- सिपाही रैंक के पुलिसकर्मी निर्भय होकर अपनी ड्यूटी करें इसके लिए डीजीपी ने सभी अधिकारियों को निर्देश दिया है कि छोटी-छोटी गलतियों पर निलंबित करना ठीक नहीं है. कार्रवाई से पहले यह भी विचार करें कि जिस पर कार्रवाई कर रहे हैं उस पुलिसकर्मी का परिवार भी है. पुलिसकर्मियों की विधवित यूनीफार्म होनी चाहिए. इशारों इशारों में उन्होंने यह तक कह दिया कि पुलिस मुख्यालय में तैनात कई आला अधिकारी भी वर्दी पहनने में चूक कर रहे हैं।
जांच के बाद ही करें फैसला डीजीपी ने समय से निष्पक्ष अनुसंधान की प्रणाली विकसित करने के निर्देश देते हुए कहा एफआइआर में निर्दोष का नाम न जोड़ा जाये. सभी एसएसपी- आइओ को निर्देश दिया कि कारण और तथ्य के साथ गलत नाम हटाया जाये. किसी को डरने की जरूरत नहीं है. जांच में पूरा समय देना होगा. आइओ के खिलाफ शिकायत पर तभी कार्रवाई होगी. लोग रंजिश के कारण गलत नामों को एफआईआर में जुड़वा देते हैं. अनुसंधान पदाधिकारी आसान तरीका अपनाते हुए नामजदों पर चार्जशीट लगा देते हैं. यानि पहले गलत नाम आये उसी पर कार्रवाई कर दी गयी, यह नहीं होना चाहिये. होना यह चाहिये कि अनुसंधान पदाधिकारी लिखें कि एफआइआर में दर्ज अमुक नाम गलत है. सही अनुसंधान बड़ी ड्यृटी है।
बिहार में नए डीजीपी आरएस भट्टी के पास प्रॉपर्टी के नाम पर न मकान न हथियार, कार भी कर्ज लेकर खरीदी राजविंदर सिंह भट्टी मूल रूप से पंजाब के रहने वाले हैं. गृह जिला चंडीगढ़ है. 27 सितंबर 1965 को जन्म हुआ. अमृता भट्टी से शादी हुई है. प्रॉपर्टी के नाम पर उनके पास खेती की जमीन और कुछ बैंक बैलेंस-निवेश ही है.
बेदाग एवं कड़क छवि वाले बिहार के नये डीजीपी के लिए दागदार आइपीएस पर कार्रवाई, शराबबंदी का पालन कराना आसान नहीं होगा. राजविंदर सिंह भट्टी को बिहार में बेहतर कानून व्यवस्था की स्थिति बनाने के प्रयासों का श्रेय दिया जाता है. बतौर डीजीपी उनके आगे कई चुनौतियां हैं. शराबबंदी होगी चुनौती आरएस भट्टी की नियुक्ति राज्य में जहरीली शराब त्रासदी के बीच हुई है, जिसमें अब तक 70 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है. शराबबंदी कानून को पूरी तरह से धरातल पर लागू कराने, कानून व्यवस्था, सिपाही से लेकर आइपीएस पर कार्रवाई के लंबित मामलों का निष्पादन. रोजगार और बहाली को लेकर युवा सड़कों पर है. लगातार महागठबंधन सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. यह सभी मामले उनके लिए चुनौती साबित हो सकते हैं.
राजविंदर सिंह भट्टी के पास है इतनी संपत्ति राजविंदर सिंह भट्टी मूल रूप से पंजाब के रहने वाले हैं. गृह जिला चंडीगढ़ है. 27 सितंबर 1965 को जन्म हुआ. अमृता भट्टी से शादी हुई है. प्रॉपर्टी के नाम पर उनके पास खेती की जमीन और कुछ बैंक बैलेंस-निवेश ही है. लाइसेंसी हथियार और आभूषण तक नहीं हैं. अंतिम बार जब उन्होंने अपनी संपत्ति की घोषणा की थी उसके अनुसार उनका चंडीगढ़ के गांव मनीमाजरा में फार्म हाउस है. एक करोड़ 80 लाख कीमत वाली कृषि भूमि में वह आधा भाग के हिस्सेदार हैं. अमृतसर में करीब 89 लाख मूल्य की खेती की जमीन है. इसमें भी 50 फीसदी का शेयर है. बैंक आदि कंपनियों में 67 लाख के करीब निवेश – डिपॉजिट है. मात्र 45 हजार कैश है. 15 लाख की कार है , लेकिन इसके लिए 10 लाख का लोन लिया है.
भट्टी का बिहार में लंबा कार्यकाल भट्टी का बिहार में लंबा कार्यकाल रहा है. पटना के पुलिस अधीक्षक (एसपी) के रूप में सेवा देने के अलावा, उन्होंने सहायक पुलिस अधीक्षक (बाढ़), सिटी एसपी (पटना), जहानाबाद, गोपालगंज, पूर्णिया में एसपी, महानिरीक्षक (आइजी) (पटना जोन) के रूप में भी काम किया है. आइजी (सुरक्षा) और महानिदेशक बिहार सशस्त्र पुलिस बल (बीएसएपी) की जिम्मेदारी निभायी है.