December 23, 2024
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केंद्र सरकार की नोटबंदी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर हुईं याचिकाओं पर सोमवार (2 जनवरी 2023) को फैसला आ गया. सुप्रीम कोर्ट ने नोटबंदी को वैध करार दिया और सभी 58 याचिकाएं खारिज कर दीं. याचिकाओं पर निर्णय सुनाने के लिए 5 न्यायमूर्तियों की बेंच लगी थी, जिसमें से 4 ने नोटबंदी के फैसले पर सहमति जताई, जबकि एक जस्टिस ने अपनी असहमति जताई. वो जस्टिस, जिनकी राय बाकी 4 न्यायमूर्तियों से अलग थी, उनका नाम है- बीवी नागरत्ना.

जस्टिस बीवी नागरत्ना (Justice BV Nagarathna) ने अपने लॉ-करियर की शुरुआत बेंगलुरु में एक वकील के रूप में की थी. फरवरी 2008 में जस्टिस नागरत्ना कर्नाटक हाईकोर्ट में एक अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त की गई थीं. फिर दो साल बाद उन्हें स्थायी न्यायाधीश बनाया गया. 2021 में जब सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम ने केंद्र सरकार के पास कोर्ट में खाली पड़ी वैकेंसी के लिए 9 नामों की सिफारिश की तो उनमें जस्टिस बीवी नागरत्ना का नाम भी शामिल था. इस तरह बीवी नागरत्ना सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बनीं.

पिता रहे हैं SC के चीफ जस्टिस
जस्टिस बीवी नागरत्ना (Justice BV Nagarathna) के पिता ईएस वेंकटरमैया सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस (Chief justice of India) रह चुके हैं. ईएस वेंकटरमैया 1989 में लगभग छह महीने के लिए CJI थे. कानूनी मामलों की पढ़ाई के लिए नागरत्ना को उन्‍हीं से प्रेरणा मिली थी. कानून के कई जानकार कहते हैं कि नागरत्ना भारत की पहली महिला प्रधान न्यायाधीश (पहली महिला CJI) बन सकती हैं. अगर केंद्र सरकार जस्टिस नागरत्ना के नाम को मंजूरी दे देती है तो 2027 में वह CJI बनेंगीं. 

नोटबंदी पर जस्टिस बीवी नागरत्ना की राय अलग क्‍यों?
जस्टिस बीवी नागरत्ना ने नोटबंदी को वैध बताने वाली बेंच के फैसले पर आरबीआई एक्ट के सेक्शन 26(2) के अंतर्गत केंद्र सरकार की शक्तियों को लेकर अपनी असहमति जताई है. जस्टिस नागरत्ना ने जस्टिस गवई के फैसले पर कहा कि उनका फैसला यह नहीं मानता है कि केंद्र की ओर से नोटबंदी की पहल की परिकल्पना नहीं की गई है. जस्टिस नागरत्ना ने कहा, ”यदि नोटबंदी केंद्र सरकार की ओर से की जानी है तो ऐसी शक्ति सूची की 36वीं एंट्री से ली जा सकती है, जो मुद्रा, सिक्कों, वैध नोट और फॉरेन एक्सचेंज की बात करती है.”

‘नोटबंदी में दोष था और यह गैरकानूनी थी’
आज सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बीवी नागरत्ना ने कहा, ”नोटबंदी के संबंध में फैसला आरबीआई को लेना था.” उन्‍होंने कहा कि 500 रुपये और 1,000 रुपये के नोटों की नोटबंदी में दोष था और यह गैरकानूनी थी.

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