
सिटी टुडे। कांग्रेस और भाजापा के अंदर वाक् युद्ध शुरू हो चुका है। पूर्व में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ कॉंग्रेस नेताओं ने बयान बाजी की तो किसी भी भाजपा नेता ने शिवराज सिंह चौहान के पक्ष में कोई बयान नहीं दिया। ठीक इसी प्रकार कमलनाथ ने “सिंधिया कोई तोप नहीं” भी कह डाला इसके बाद भी प्रदेश सरकार या संगठन में किसी नेता ने हिम्मत नहीं की कि कमलनाथ के इस बयान का विरोध करे।
हकीकत तो यह है कमलनाथ जो 1984 में सिख दंगों के आरोपी है और खुद चुनाव हारे हुए है फिर भी कॉंग्रेस का नेतृत्व कर रहे हैं। क्या कमलनाथ चुनाव नहीं हारे, क्या दिग्विजय सिंह चुनाव नहीं हारे, क्या कांग्रेस मुख्यमंत्री कार्यकाल में अर्जुन सिंह चुनाव नहीं हारे, क्या अजय सिंह चुनाव नहीं हारे क्या अरूण यादव चुनाव नहीं हारे, क्या 4 बार लोकसभा का चुनाव अशोक सिंह नहीं हारे, क्या चंद्रप्रभाष शेखर चुनाव नहीं हारे, क्या महेंद्र सिंह चौहान, रामनिवास रावत, दिनेश सिंह गुर्जर चुनाव नहीं हारे, वर्तमान में कांग्रेस संगठन में राजीव सिंह को छोड़कर जितने भी कमलनाथ की नाक के बाल है शोभा ओझा विभा पटेल राजकुमार पटेल वह सभी मतदाताओं द्वारा नकारे जा चुके हैं।
हाल ही में कांग्रेस संगठन के अंदर राज्य स्तरीय कमेटी के पुनर्गठन के मामले में जग जाहिर हो गया कि कमलनाथ तथा दिग्विजय सिंह के बीच भी मतभेद हैं इसका असर टिकट वितरण पर पड़ेगा।
राजनीतिक समीक्षकों के मुताबिक टिकट वितरण में कमलनाथ से आगे दिग्विजय सिंह ही रहेंगे। फिर राजनीतिक रूप से विकलांग टीम के नेता कमलनाथ किस मुंह से केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादितया सिंधिया के खिलाफ बोलते वक्त भूल जाते हैं कि इसी ज्योतिरादित्य सिंधिया की तोप ने 15 साल बाद कांग्रेस की सरकार मध्यप्रदेश में पुनः स्थापित करने में महत्वपूर्ण योगदान देकर कमलनाथ को मुख्यमंत्री बनवाने में अहम भूमिका निभाई थी परंतु कमलनाथ ने किसान, आम मतदाताओं के फैसले का अपमान कर वादा खिलाफी की उसके बाद मतदाताओं के होते अपमान को बर्दाश्त न करते हुए इसी तोप ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कमलनाथ का तख्तापलट कर दिया था।