July 12, 2025
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व्यवसायिक परीक्षा मंडल मध्यप्रदेश, भोपाल द्वारा एक भर्ती विज्ञापन में आरक्षण के निर्धारण की गलती कर दी थी। त्रुटि सुधार किए बिना ही परीक्षा का आयोजन कर लिया और चयन सूची जारी कर दी लेकिन डिपार्टमेंट ने ज्वाइनिंग से इनकार कर दिया। हाई कोर्ट में डिसीजन दिया है कि, विज्ञापन सही हो या गलत, उम्मीदवार परीक्षा देकर चयनित हुआ है इसलिए उसे नौकरी तो देनी पड़ेगी। 

याचिकाकर्ता का नाम श्री गणेश सिंह ठाकुर निवासी नैनपुर जिला मंडला है। याचिका में बताया गया कि, मध्यप्रदेश शासन, सामान्य प्रशासन विभाग ने राजस्व विभाग, बैतूल में सहायक ग्रेड-थ्री की नियुक्ति के लिए आवेदन आमंत्रित किए किए थे। भर्ती परीक्षा व्यावसायिक परीक्षा मंडल द्वारा आयोजित की गई, जिसमें उसका चयन हो गया। विज्ञापन के अनुसार अनारक्षित वर्ग के दो पद निर्धारित थे किंतु जब वह ज्वाइनिंग के लिए कलेक्टर, बैतूल के समक्ष गया तो उन्होंने इस तर्क के साथ नियुक्ति देने से इन्कार कर दिया कि अनारक्षित वर्ग के लिए कोई पद निर्धारित नहीं था।

 पूछताछ करने पर बताया गया कि, परीक्षा एजेंसी व्यावसायिक परीक्षा मंडल मध्य प्रदेश, भोपाल ने त्रुटिपूर्ण विज्ञापन प्रकाशित कर दिया था। यह जानकारी मिलने के बाद याचिकाकर्ता ने उच्च अधिकारियों को अभ्यावेदन दिया। किंतु कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसलिए हाई कोर्ट में याचिका प्रस्तुत की गई। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के विद्वान न्यायमूर्ति श्री संजय द्विवेदी (एकल पीठ) ने आदेशित किया कि परीक्षा एजेंसी द्वारा जो विज्ञापन जारी किया गया था उसी के आधार पर नियुक्ति प्रदान की जाए। व्यापम की गलती के लिए उम्मीदवार को जिम्मेदार नहीं बताया जा सकता। 

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