सिटी टुडे। पश्चिम मध्य रेलवे के जबलपुर रेल मंडल में लगातार 12 सालों तक एक रिटायर कर्मचारी के दो बैंक खातों में पेंशन पहुंचने से लगभग 60 लाख रुपए का गड़बड़झाला सामने आने से हड़कम्प मचा हुआ है. इस मामले में ऑडिट विभाग ने भी अपने स्तर पर जांच शुरू करते हुए पूरी रिपोर्ट रेलवे बोर्ड दिल्ली को भेज दी है, वहीं पश्चिम मध्य रेलवे के प्रमुख मुख्य वित्त नियंत्रक ने भी जबलपुर रेल मंडल के लेखा विभाग के अधिकारियों से नाराजगी जताई जाने की खबर है. खास बात यह है कि जबलपुर रेल मंडल के लेखा विभाग ने इस मामले को कई माह तक दबा कर रखा था, लेकिन जब मीडिया के माध्यम से पूरी खबर उजागर हुई तो उच्च अफसरों को इस गड़बड़ी का पता लगा.
उल्लेखनीय है कि इस पूरे मामले में लेखा विभाग के दो कर्मचारी हर्ष वर्मा जो पमरे मजदूर संघ का मंडल कोषाध्यक्ष है, के अलावा घनश्याम पटेल की गंभीर लापरवाही सामने आयी है. इन दोनों कर्मचारियों को मेजर पेनाल्टी चार्जशीट एसएफ5 देते हुए उनसे लिखित में जवाब मांगा गया है.
ऑडिट विभाग ने शुरू की जांच
बताया जाता है कि यह मामला मीडिया के माध्यम से सामने आने के बाद पमरे के आला अधिकारी भी अचंभित रह गये, क्योंकि इतना गंभीर मामले की जानकारी मंडल के लेखा विभाग के अधिकारियों को कई महीने से थी, किंतु उन्होंने इस मामले की जानकारी पमरे मुख्यालय के अफसरों को देना उचित नहीं समझा. जिसके बाद इस मामले में ऑडिट विभाग की एंट्री हुई और ऑडिट विभाग के अधिकारी पिछले दो दिनों से पेंशन भुगतान की फाइलों को खंगाल रहे हैं. वहीं आडिट विभाग ने इस गड़बड़ी की शिकायत रेलवे बोर्ड को दे दी है.
पमरे मुख्यालय प्रशासन भी नाराज
सूत्रों के मुताबिक इस मामले में पमरे मुख्यालय के आला अधिकारी भी मंडल के लेखा विभाग की कार्यप्रणाली से खासे नाराज बताये जा रहे हैं, क्योंकि इस मामले को स्थानीय स्तर पर अधिकारी दबाने का प्रयास करते रहे, क्योंकि इस मामले मेें मजदूर संघ का एक पदाधिकारी की संलिप्तता सामने आयी है, इसलिए मामले में लीपापोती की जाती रही. लेकिन अब यह संभव नहीं है. पमरे प्रशासन ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि इस मामले में कोई भी दोषी कर्मचारी बचना नहीं चाहिए, चाहे वह कितना बड़ा रसूखदार क्यों न हो और भले ही वह किसी संगठन से जुड़ा हुआ हो.
जानिए यह है पूरा मामला
जबलपुर में अमर सिंह चीफ लोको इंस्पेक्टर (सीएलआई) के पद पर कार्यरत थे, वे 31 मार्च 2011 को सेवानिवृत्त हुए, जिसके पश्चात उनके सेंट्रल बैंक आफ इंडिया बिलहरी शाखा में पेंशन आती रही. अमरसिंह का स्टेंडिंग अप के भुगतान का मामला रेलवे के समक्ष लंबित था, जिस के भुगतान के लिए वे कोर्ट गये थे, जिसके पश्चात 2021 में उन्हें रेलवे ने एरियर्स का भुगतान भी किया. इसी दौरान अमर सिंह ने रेलवे में आवेदन देकर अपना पेंशन एकाउंट सेंट्रल बैंक आफ इंडिया (सीबीआई) बिलहरी शाखा से स्टेट बैंक आफ इंडिया मढ़ाताल ब्रांच में करने का आवेदन दिया. यहीं से सारे गोलमाल की पटकथा रची गई. रेल के जिम्मेदार विभाग कर्मिक व लेखा ने अमर सिंह के सीबीआई शाखा से पत्राचार किये और बैंक को बिना सूचित किये एसबीआई में पेंशन भुगतान के लिए दूसरा पीपीओ आर्डर 2 जून 2021 को जारी कर दिया. जिसमें पेंशन की देय तिथि 31 मार्च 2011 दर्शाई गई.
बताया जाता है कि रेलवे से अमरसिंह का पीपीओ मिलते ही उसमें दर्ज पेंशन देय तिथि 31 मार्च 2011 को मानते हुए एसबीआई ने 1 अप्रैल 2011 से नवम्बर 2021 तक का एरियर्स 46 लाख 8 हजार 508 रुपए का भुगतान कर दिया. यही नहीं दिसम्बर 2021 से लेकर फरवरी 2023 (अमरसिंह की मृत्यु तक) प्रतिमाह पेंशन जो लगभग 75 हजार रुपए प्रतिमाह होती है, वह भी भुगतान होता रहा. आश्चर्य की बात तो यह रही कि इस दौरान सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया बिलहरी शाखा में भी अप्रैल 2011 से फरवरी 2023 तक हर माह निर्धारित पेंशन अमरसिंह को प्राप्त होती रही. इस प्रकार अमर सिंह (अब स्वर्गीय) को लगभग 60 लाख रुपए का भुगतान किया गया.
ऐसे हुआ मामले का खुलासा
बताया जाता है कि यदि अमर सिंह जीवित होते तो इस गड़़बड़झाले का खुलासा नहीं होता, यह तो अमर सिंह के फरवरी 2023 में निधन होने के बाद उस समय हुआ, जब उनकी पत्नी फेमिली पेंशन पाने के लिए पमरे के प्रमुख मुख्य वित्त अधिकारी एवं लेखा नियंत्रक कार्यालय पहुंची, जहां पर उनके पति स्व. अमर सिंह के रिकार्ड तलाशे गये तो पूरे मामले का खुलासा हुआ कि उनके दो अलग-अलग बैंक खातों में पेंशन पहुंच रही है, जिसमें रेलवे को लगभग 60 लाख रुपए का चूना लग गया है.