जिस मुद्दे को लेकर मध्यप्रदेश के वकीलों ने हड़ताल की हुई थी, हाई कोर्ट ने उस मामले में दाखिल की गई याचिका को विचारार्थ स्वीकार कर लिया है। महत्वपूर्ण बात है कि हाईकोर्ट ने हाईकोर्ट की आपत्ति को खारिज किया और याचिका को स्वीकार किया।
जबलपुर से हाई कोर्ट ऑफ मध्य प्रदेश, मुख्य पीठ की फुल कोर्ट मीटिंग में लिए गए निर्णय के अनुपालन में रजिस्ट्रार जनरल श्री राम कुमार चौबे द्वारा 21 दिसंबर 2022 तथा 5 एवं 19 जनवरी को प्रदेश के समस्त जिला न्यायालय को जारी 3 परिपत्रों की संवैधानिक ताको मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय जबलपुर में ओबीसी एडवोकेट वेलफेयर एसोसिएशन के प्रतिनिधि, पूर्व अपर जिला न्यायाधीश श्री राजेंद्र कुमार श्रीवास्तव आरा अधिवक्ता श्री रामेश्वर सिंह ठाकुर एवं श्री विनायक प्रसाद शाह के माध्यम से मार्च 2023 में याचिका क्रमांक WP 7459/2023 दिनांक 27/3/2023 को दायर करके चुनौती दी गई थी तथा हाईकोर्ट द्वारा उक्त याचिका की सुनवाई के लिए तीन माह तक सूचिवद्ध नहीं किया गया।
तब याचिका कर्ता ने हाईकोर्ट के उक्त उपेक्षित कार्य के विरूध सुप्रीम कोर्ट मे याचिका क्रमांक WP (c) 718/2023 दाखिल क़ी गई। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने उक्त याचिका पर संज्ञान लेने से इंकार किया गया। तब उक्त याचिका सुप्रीम कोर्ट से दिनांक 24/7/2023 को वापिस ले ली गई। तत्पश्चात हाईकोर्ट ने उक्त याचिका क्रमांक WP/7459/2023 को डिवीजन बैच क्रमांक 3 के समक्ष दिनांक 31.7.2023 को विचारणशीलता के बिंदु पर याचिका डिफाल्ट मे सूचिबद्ध कर दी गई।
सुनवाई के दौरान जस्टिस सुजय पाल एवं जस्टिस ए.के.पालीवाल ने प्रकरण क़ी विचारणशीलता के बिंदु पर अगली सुनवाई नियत क़ी गई। तत्पश्चात उक्त प्रकरण क़ी सुनवाई दिनांक 22/8/2023 को जस्टिस शील नागु एवं जस्टिस अमरनाथ केशरवानी ने विस्तृत सुनवाई कर सुप्रीम कोर्ट मे दायर क़ी गई याचिका का बारीकी से परिक्षण करके तथा सुप्रीम कोर्ट के मार्गदर्शी निर्णयो को रेखांकित करते हुए दिनांक 26/8/2023 को विस्तृत आदेश प्रसारित किया गया। जिसमे हाईकोर्ट द्वारा उठाई गई आपत्ति को सिरे से खरिज करके व्यवस्था दी गई क़ी याचिका मे उठाए गए मुद्दे विधिक एवं संवैधानिक महत्व के हैं तथा याचिका विचारार्थ स्वीकार करके याचिका मे उठाए गए मुद्दों पर अगली सुनवाई दिनांक 29/8/2023 नियत क़ी गई है। याचिका मे हाईकोर्ट सहित प्रदेश के समस्त 54 जिलों के जिला न्यायालय को अनावेदक बनाया गया हैं।