
लेखक: प्रथपाल सिंह अहलुवालिया
सिटी टुडे। आजकल भारत में ईसाई मिशनरियों द्वारा तरह तरह के प्रलोभन देकर विस्तारीकरण किया जा रहा है कभी औरंगजेब ने भी लोभ प्रलोभन और जबरदस्ती भारत में इस्लामीकरण की मुहिम चलाई थी और सिख गुरु साहिबान ने हर संभव प्रयास किया कि उसे इस जुल्म करने से रोका जावे लेकिन जब बात न बनी तो गुरु गोबिंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की और खंडे बाटे की अमृत पाहुल छकाकर फौज के हर सिंह को पांच ककार देकर सिंह सजाया गौ, गरीब, देश, धर्म की रक्षा के लिए। इसके लिए उन्होंने अपना पूरा परिवार वार दिया चार पुत्रों की शहादत के बाद उन्होंने कहा कि सब पुत्रन के शीश पर वार दिए शीश चार, चार मुए तो क्या हुआ जीवित कई हजार। विश्व भर में निवासरत सिख समाज इन 21से 28 दिसंबर तक शहीदी दिनों में स्वेच्छा से किसी भी शुभ कार्य को नहीं करते।
आज भारत देश जिसकी रक्षा के लिए लाखों कुर्बानियां हुई वहीं आज अंग्रेजों का क्रिसमस तो सबको याद है क्योंकि ईसाई मिशनरियों ने स्कूलों पर केंद्रित होकर बच्चो में संता क्लॉज को हीरो की तरह मन मस्तिष्क में बिठाया और अब लगभग सभी स्कूलों में क्रिसमस सेलिब्रेशन के बहाने जमकर साजिशन विस्तारीकरण करवाया जा रहा है लेकिन किसी को गुरु गोबिंद सिंह जी के परिवार की इन्हीं दिनों में हुई शहादतें याद भी नहीं है।
खालसा पंथ के संस्थापक सर्ववंश दानी गुरु गोबिंद सिंह साहिब जी की देश धर्म को अमूल्य देन
इस संसार में कहीं भी ऐसे पुत्र, माता-पिता नहीं होंगे जो अपने पिता, बच्चों को किसी देश और किसी धर्म की रक्षा के लिए समर्पित कर दें। औरंगजेब के जुल्मों और जबरदस्ती इस्लामीकरण मुहिम से तंग आ चुके हिंदुस्तान की जनता का दुख देखकर कश्मीरी ब्राह्मण समाज के प्रतिनिधि दल जब गुरु गोबिन्द सिंह साहिब जी के पिता गुरु तेग बहादुर जी से मदद की गुहार लेकर मिलने आया तब गुरु तेग बहादुर जी ने कहा कि अब बातचीत से मसला हल नहीं होगा अब शहीदीया लगेंगी तब गुरु गोबिंद सिंह जी ने कहा पिता जी आप ही जंग में जाए और शहादत देनी पड़े तो अवश्य दे दें। उनकी शहादत के बाद उन्हें हिंद की चादर कहा जाता है। चमकौर की लड़ाई में चार साहिबजादे और माता जी भी शहीदी पा गए। बड़े पुत्र बाबा अजीत सिंह, बाबा जुझार सिंह को चमकोर की जंग में मुगलों से लड़ने के लिए गुरु साहिब ने खुद तैयार करके भेजा ताकि कोई यह न कह सके कि गुरु जी ने सिखों के बच्चों को तो मरवा दिया पर अपने बच्चों पर आंच नहीं आने दी। दोनों साहिबजादों ने जंग ए मैदान में लड़ते हुए मुगलों को करारी टक्कर दी और हजारों बड़े बड़े तुर्रमखान मार गिराने के बाद शहादत हासिल की। जंग में अकेले साहिबजादे अजीत सिंह जी के शरीर में 376 तीर आरपार लगे थे। उसके बाद छोटे साहिबजादे बाबा जोरावर सिंह, बाबा फतेह सिंह जिनकी उम्र 9 और 7 साल की थी उन्हें गुरु घर के गद्दार गंगू ने धोखे से मुगलों के हाथ पकड़वा दिया फिर जालिमों ने उन्हें सरहिन्द की दीवार में जिन्दा चिनवा दिया। सरहिन्द की दीवारें आज भी उन पलों की गवाही भरती हैं जब माता गुजरी जी और साहिबजादों को कड़ाके की सर्दी में ठण्डे बुर्ज में कैद करके रखा गया। साहिबजादों को तरह-तरह के लोभ लालच दिये गये कि वह इस्लाम कबूल कर लें पर मासूम साहिबजादे अपने निश्चय पर अडिग रहे और अन्त में शहादत देना ही स्वीकार किया यह सब कुछ देख रही दादी जी माता गुजरी ने भी उनके साथ प्राण त्याग दिए। दरअसल मुगल दिखाना चाहते थे कि जो गुरु गोबिंद सिंह तुम्हारी रक्षा कर रहा है हम उसके बच्चों को ही इस्लाम स्वीकार करा देंगे लेकिन मुगलों की तमाम कोशिशें तमाम यातनाएं सब विफल रहीं। इस तरह गुरु गोबिंद सिंह जी ने अपने पिता, माता और चार पुत्र के बाद स्वयं को भी देश धर्म की रक्षा के लिए समर्पित कर दिया। इसके बाद बाबा बन्दा सिंह बहादुर की अगुवाई में खालसा फौज ने मुगल सल्तनत की ईट से ईट बजाकर सब कुछ तहस नहस कर मुगलों से जबरदस्त बदला लिया। बदला भी ऐसा कि गुरु गोबिंद सिंह साहिब के वचनों को पूरा करवाया दरअसल चमकौर की जंग में मुगलों को ललकारते हुए गुरु गोबिंद सिंह जी ने कहा था कि मेरे सिखो द्वारा तुम्हारी सल्तनत के खेत गधे से जोते जाएंगे और खालसा फौज ने किया भी ठीक इसी तरह। इनकी सल्तनत पर फतेह प्राप्त कर गधों से खेत जुतवाय और वहां के गरीबों में जमीनें बांटकर उन्हें जमींदार बना दिया। एक समय आया जब मथुरा के पास स्थित कोसी कलां से अफगानिस्तान, तिब्बत तक सिख फौजों ने फतेह हासिल करते हुए हिन्दुस्तान की सीमा चीन तक जोड़ दी थी। गुरु गोबिंद सिंह साहिब जी के उपदेश और सिद्धांत के अनुरूप सिख फौजों ने हमेशा जोर जुल्म, अन्याय कें खिलाफ जंग की और गौ गरीब देश धर्म की रक्षा की।

ग्वालियर में सिख नौनिहालों ने आज निकाली जागृति यात्रा यह यात्रा नूरगंज गुदड़ी मोहल्ला स्थित गुरुद्वारा से फूलबाग गुरुद्वारे तक निकाली गई।

26 दिसंबर वीर बाल दिवस के अवसर पर भारतीय जनता पार्टी ग्वालियर के स्वामी विवेकानंद मंडल ने भी चार साहिबजादों की शहादत को पुण्य नमन किया।
उल्लेखनीय है कि, भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने वर्ष 2022 में 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस के रूप में घोषित किया था।
