May 24, 2025
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इंदौर। शहीदे-आज़म भगत सिंह के भांजे एवं सुप्रसिद्ध लेखक, चिंतक और इतिहासकार प्रो. जगमोहन सिंह ने कहा कि भगत सिंह को गले में फाँसी का फंदा डाल लेने के लिए जाना जाता है, जबकि उन्होंने आज़ादी आंदोलन के साथ-साथ हरित क्रांति पर कार्य किया था। समाज के हर व्यक्ति को उसके अधिकार मिले इसी के लिए भगत सिंह ने कई प्रयास किए।

प्रो. सिंह स्टेट प्रेस क्लब, म.प्र. के संवाद कार्यक्रम में मीडियाकर्मियों से चर्चा कर रहे थे। उन्होंने बताया कि आजादी की लड़ाई के दौरान भगत सिंह ने युवाओं एवं महिलाओं को समाज में आगे रखने का अभियान चलाया था। पर्यावरण और गरीबी दूर करने के लिए भी उन्होंने कई कार्यक्रम चलाये थे। उन्हें इस बात का भान था कि युवा और महिला ही समाज में बड़ा बदलाव ला सकते हैं।

उन्होंने कहा कि राम मदिर निर्माण से रामराज्य नहीं आएगा। जब तक देश में भूखमरी, बेरोज़गारी, पर्यावरण जैंसी प्रचुर समस्याएं हैं तब तक रामराज्य नहीं आ सकता। राम मंदिर निर्माण के बाद आज़ादी मिली संघ प्रमुख डॉ. मोहन भागवत के बयान पर छिड़ी बहस पर उन्होंने कहा कि पहली बात यह है कि आजादी को हम डिफाइन क्या करते हैं? और जब आप आजादी की डेफिनेशन बदलेंगे तब आपके सवाल हल हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि अगर मंदिर बनने से सब लोगों को रोटी मिल गई, काम मिल गया, उनकी सब समस्याओं का समाधान हो गया तो मैं कहूंगा कि मंदिर निर्माण ठीक था। उन्होंने कहा कि इतिहास में ही देख लीजिए कि हमने मंदिरों से ही इतना धन इकट्ठा किया कि हमने बाहर से आक्रमणकर्ताओं को इनवाइट किया कि आप आए और हमारा धन लूट के ले जाओ।

प्रो. सिंह ने कहा कि आज अडानी-अंबानी जैंसे देश के बड़े कारपोरेट हाउसेस के लिए तो अलग तरह की आजादी है लेकिन आम और परेशान आदमी के लिए आजादी के मायने अलग हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा ने अपने कार्यकाल के पहले की देश की उपलब्धियों को लेकर आँखें मूंद रखी हैं। उन्हें लगता है आजादी के सत्तर वर्षों में गैर भाजपाई सरकारों ने कोई काम ही नहीं किया।

एक प्रश्न के जवाब में उन्होंने कहा कि लेख, पुस्तकों एवं फिल्मों के माध्यम से पूर्व प्रधानमंत्रियों एवं महापुरुषों को बदनाम करने की मुहिम चला रखी है। यही काम आज़ादी से पहले अंग्रेज़ करते थे। वे स्थानीय राजाओं को अय्याश और मक्कार बताकर उन्हें बदनाम करते थे। जनता सब समझती है सरकार के ऐसे प्रयास सफल नहीं हो रहे।

प्रो. सिंह ने कहा कि जीएसटी के माध्यम से केंद्र सरकार राज्यों का पैसा वसूल रही है लेकिन शिक्षा, स्वास्थ्य जैसे मूलभूत चीजों के लिए बजट आवंटित करने में आनाकानी कर रही है। कई राज्य बजट के अभाव में स्कूल, अस्पताल जैसे महत्वपूर्ण प्रकल्प बंद करने पर मजबूर हो गई है। प्रारम्भ में प्रगति लेखक संघ के विनीत तिवारी ने प्रो. सिंह का परिचय दिया। अध्यक्ष प्रवीण खारीवाल, महासचिव अभिषेक बडजात्या, समीर खान एवं अरविन्द पोरवाल ने प्रो. सिंह का स्वागत किया।

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