सिटी टुडे। ग्वालियर नगर निगम को उत्तर भारत में भाजपा का अभेद किला कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी क्योंकि भारतीय जन संघ का गठन ग्वालियर से ही शुरू हुआ था व भारतीय जनता पार्टी के गठन के पीछे स्वर्गीय कैलाशवासी राजमाता विजयाराजे सिंधिया जी पार्टी की संस्थापक सदस्य ही नहीं पार्टी की पोषक भी रही परंतु विडंबना है कि 55 साल लगातार महापौर की कुर्सी पर विराजमान जनसंघ/भारतीय जनता पार्टी को इस बार महापौर चुनाव में राज्य में सत्ता में होते हुए भी पसीना आ गया। ज्ञात हो कि 55 वर्ष पूर्व भाजपा प्रत्याशी सुमन शर्मा के ससुर ग्वालियर के कद्दावर कांग्रेसी नेता रहे स्वर्गीय धर्मवीर शर्मा कांग्रेस के महापौर रहे उसके बाद आज दिन तक कांग्रेस अपना महापौर ग्वालियर नगर निगम में नहीं बना पाई, हालांकि स्वर्गीय श्री शर्मा बाद में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए तथा इस पार्टी से विधायक भी रहे परंतु उनके बाद परिवार का कोई भी सदस्य सक्रिय राजनीति में नहीं रहा। हाँ कार्यकर्ता की हैसियत से जरूर संगठन तक या परिवार सक्रिय रहा परंतु धरातल पर नहीं इसी एक कारण है के भाजपा के इस गढ़ में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित दोनों केंद्रीयमंत्री श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया तथा नरेंद्र सिंह तोमर व प्रदेश सरकार के 5 मंत्री महापौर के इस चुनावी रण में कूदकर भाजपा प्रत्याशी सुमन शर्मा जीत सुनिश्चित करने के लिए निराश कार्यकर्ताओं का न केवल मनोबल बढ़ाते रहे वहीं घर घर दस्तक देकर वोट भी मांगने गए ग्वालियर के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है फिर जब दो दो केंद्रीयमंत्री किसी महापौर प्रत्याशी के चुनाव के लिए पूरा समय सक्रिय रहे जबकि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष जो मुरैना जिले के निवासी हैं ने रहस्यमयी परिस्थितियों में नगरीय चुनाव में ग्वालियर चंबल संभाग से दूरी ही बनाकर रखी परंतु श्री वी डी शर्मा अपने संसदीय क्षेत्र के अलावा सागर भोपाल इंदौर में सक्रिय रहे ग्वालियर चंबल संभाग से क्यों दूरी बनाकर रखी इस बात का जवाब भा जा पा के किसी नेता के पास नहीं है। महज टिकट की बाजी जीतकर सुमन शर्मा प्रत्याशी बनने के बाद से ही स्वयं की जीत से तय मानकर चलती रहीं। चुनावी व्यवस्थाओं में सुमन शर्मा की टीम सफल नहीं हो सकी अगर इस चुनाव में भाजपा पार्षद प्रत्याशियों का प्रबंधन बूथ पर नहीं होता तो स्थिति कुछ और होती। यहां तक के सुमन शर्मा के लिए सांसद तथा पूर्व अध्यक्ष प्रभात झा भी घर से नहीं निकले। पूर्व मंत्री अनूप मिश्रा की नाराजगी जगजाहिर है ठीक इसी प्रकार भाजपा के कई जिम्मेदार नेताओं ने अपने पुराने साथी सतीश सिकरवार जो भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल होकर विधायक भी निर्वाचित हो गए की पत्नी व कॉंग्रेस की महापौर प्रत्याशी शोभा सिकरवार के समर्थन में ही अप्रत्यक्ष रूप से कार्य करते रहे परन्तु उसी प्रकार कांग्रेस के भी कई कद्दावर चर्चित नेता अप्रत्यक्ष रूप से सुमन शर्मा के लिए काम करते रहे।
जिस प्रकार भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष श्री वीडी शर्मा ने इस चुनाव में ग्वालियर चंबल संभाग से दूरी बनाकर रखी ठीक इसी प्रकार पूर्व मुख्यमंत्री व राज्यसभा सांसद, ग्वालियर चंबल संभाग के प्रभारी दिग्विजय सिंह ने भी इस चुनाव में ग्वालियर चंबल संभाग से क्यों दूरी बनाकर रखी इस बात पर भी स्थानीय तथा प्रदेश के नेता मौन धारण किए है। प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ जरूर ग्वालियर आकर अपनी रस्म अदायगी कर चले गए। इसके बावजूद भी शोभा सिकरवार परिवार की टीम कट्टर समर्थक हमदर्द की भूमिका निभाने वाले इस परिवार की जनसेवा से लाभान्वित मतदाता व कार्यकर्ताओं ने बिना किसी राजनीतिक भेदभाव के शोभा सिकरवार की जीत के लिए संगठित होकर मेहनत की इस चुनाव में सिकरवार परिवार ने भाजपा की तर्ज पर चुनाव प्रबंधन की तो विपक्षी नेता प्रशंसा करते हैं।
प्रदेश में सबसे कम ग्वालियर महानगर में मतदान होने के पीछे जहां भारतीय जनता पार्टी के कुछ नेता चुनाव आयोग को दोषी ठहरा रहे हैं वही भारतीय जनता पार्टी के वह नेता दबी जुबान से निराश कार्यकर्ताओं का सक्रिय न रहना भी स्वीकार करते हैं। मतदान के बाद जब सिटी टुडे द्वारा राजनीतिक समीक्षकों से चर्चा की गई तो उन्होंने कहा कम मतदान होना परंतु गरीब, मध्यम वर्ग एवं पिछड़ा वर्ग समाज, मुस्लिम, आरक्षित वर्ग के मतदाताओं द्वारा पूर्व की तरह मतदान के प्रति सजग रहकर मतदान किए जाने से कांग्रेस प्रत्याशी शोभा सिकरवार की जीत की आशंका जाहिर की।
खैर, मतदान हो गया तीनों प्रत्याशियों का भाग्य ईवीएम में कैद है 17 जुलाई को महापौर कौन बनेगा इसके परिणाम सामने आएंगे परंतु ग्वालियर के इतिहास में महापौर का ये चुनाव भारतीय जनता पार्टी की सत्ता और संगठन के लिए चुनौती बन गया था।