
सिटी टुडे। बहुप्रतीक्षित मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी की जंबो सूची कमलनाथ ने काफी मशक्कत के बाद गुटबाजी का शिकार होते हुए भी राष्ट्रीय महामंत्री जेपी अग्रवाल से फाइनल करा ही ली। सूची जारी होते हैं जेपी अग्रवाल ने ट्वीट किया कि यह सूची अंतिम नहीं इसमें कुछ और नाम जोड़े जाकर संशोधन भी हो सकता है।
प्रदेश कार्यकारिणी की जंबो संख्या
आजादी के बाद मध्य प्रदेश में पहली बार कांग्रेस की इतनी लंबी पदाधिकारियों की सूची वाली फौज भारतीय जनता पार्टी का सामना करने की बजाय स्वयं कांग्रेस की गुटबाजी को संतुष्ट करने का कमलनाथ ने असफल प्रयास किया है जिसकी धरातल पर कुछ ही दिनों में तस्वीर स्पष्ट हो जाएगी।
बात ग्वालियर चंबल संभाग की करें तो ग्वालियर चंबल संभाग में दतिया, मुरैना, भिंड, श्योपुर जिलों में नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह की पसंद बताए जाते हैं केवल दतिया मुरैना शहर तथा मुरैना ग्रामीण का परिवर्तन किया गया है बाकी यथावत रखे गए हैं।
प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता उपाध्यक्ष पूर्व मंत्री बालेंद्र शुक्ला तथा दक्षिण के विधायक प्रवीण पाठक चाह कर भी काफी मेहनत करने के बाद शहर अध्यक्ष देवेंद्र शर्मा को नहीं हटा सके सूत्रों अनुसार शर्मा का हटना लगभग तय था परंतु अंतिम समय में हनुमान की संजीवनी के रूप में विधायक सतीश सिकरवार ने शर्मा को बचा लिया। संगठन की आंतरिक जानकारी अनुसार शर्मा के ऊपर ऐसा कोई सगा नहीं जिसको ठगा नहीं लोग दबी जुबान से स्वीकार करते है।
ग्वालियर ग्रामीण अध्यक्ष पद के लिए वर्तमान में प्रदेश उपाध्यक्ष अशोक सिंह ने जिसका नाम दिया था उसका नाम काफी विरोध के साथ ही सर्वसम्मति से अंचल में दलित चेहरे के रूप में पहचान बनाए जाने के लिए पहली बार प्रभु दयाल जोहरे को ग्वालियर ग्रामीण का अध्यक्ष बनाया गया राजनीतिक सूत्रों के अनुसार प्रभु दयाल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता साहब सिंह गुर्जर के गुटके बताए जाते हैं परंतु जब जोहरे से चर्चा हुई तो उन्होंने कहा मैं तो दो पीढ़ी से कांग्रेसी हूं मेरे ससुर मुरैना के सांसद रहे है। मूल रूप से भांडेर निवासी जोहरे ग्वालियर में ही रहते हैं परंतु अंचल में दलित समाज के ऊपर उनकी अच्छी पकड़ बताई जाती है साथ ही जोहरे कहते हैं मैं तो अगला विधानसभा चुनाव भांडेर से कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में लड़कर जीतूंगा। श्री जोहरे का कहना है विधानसभा उपचुनाव में अगर फूल सिंह बरैया की जगह मैं स्वयं प्रत्याशी होता तो कांग्रेस को विजय हासिल होती प्रभु दयाल के समर्थकों के मुताबिक फूल सिंह बरैया कांग्रेस के अंदर आयातित नेता होकर दल बदलू होने के साथ ही समाज में अपना जनाधार खत्म कर चुके हैं।
गुना जिले में दिग्विजय सिंह द्वारा अपने पुत्र जयवर्धन सिंह को राघोगढ़ से बिजली बनवाने के लिए जातीय समीकरणों के तहत पहले जनपद अध्यक्ष मीणा समाज की बनाई गई तथा अब धाकड़ किरार समाज को अपनी और आकर्षित करने के लिए धाकड़ समाज के मनीराम धाकड़ को गुना जिला का अध्यक्ष बनाया गया. ठीक इसी प्रकार अशोकनगर में कांग्रेस दोबारा यादव समाज में अपना खोया हुआ जनाधार मजबूत करने के लिए कृष्ण पाल यादव को जिला अध्यक्ष बनाया गया।
संभाग में सबसे महत्वपूर्ण परिवर्तन शिवपुरी जिले में किया गया पहली बार किसी युवा को जिला कांग्रेस कमेटी की बागडोर सौंपी गई अभी तक जिला कांग्रेस की बागडोर दिग्विजय सिंह समर्थक विधायक के पी सिंह कक्काजू के मित्र श्री प्रकाश शर्मा थे उनको हटाकर पूर्व मंत्री तथा शिवपुरी जिले में कांग्रेस का जनाधार मजबूत करने वाले जिन नेताओं का नाम प्रथम श्रेणी में आता है उनमें स्वर्गीय दाऊ हनुमंत सिंह भी शामिल है के पुत्र विजय सिंह चौहान को जिला अध्यक्ष बनाया गया है चौहान युवा अनुभवी हो होने के साथ ही जिला पंचायत के उपाध्यक्ष भी रहे हैं ग्रामीण अंचल में उनका जनाधार भी है राजनीतिक रूप से वह पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह के समर्थक बताए जाते हैं।
प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ द्वारा जिन 64 जिला अध्यक्षों की घोषणा के साथ ही अपनी जंबो कार्यकारिणी की सूची जारी की गई है उनमें से एक भी सिख समाज के किसी नेता को जिलाध्यक्ष अथवा प्रदेश कार्यकारिणी में नहीं रखा गया इससे स्पष्ट होता है कि 1984 दंगों के आरोपी कमलनाथ ने सिख समाज से दूरी बनाना है मुनासिब समझा।