December 23, 2024
Spread the love

इंदौर के श्री बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर की बावड़ी की छत गिरने से जिन 36 बेकसूरों की मौत हुई है, दरअसल वह एक तरह से हत्या ही है। इस पूरे हादसे को लेकर जहां राजनीति शुरू हो गई, वहीं आरोप-प्रत्यारोप के साथ शासन-प्रशासन, निगम पर भी सवाल खड़े किए जाने लगे मगर मंदिर ट्रस्ट ने निगम नोटिस के जवाब में जो पत्र भेजा वह इस पूरे हादसे की हकीक़त उजागर कर देता है। ट्रस्ट ने हिन्दू भावनाओं के भड़कने, उन्माद फैलने की धमकी देते हुए निगम नोटिसों को जहा रद्दी की टोकरी में फेंक डाला वही नेताओं ने इस अवैध निर्माण को पूर्ण संरक्षण दे डाला । हालांकि इतनी मौतों के चलते पुलिस ने ट्रस्ट अध्यक्ष और पूर्व भाजपा पार्षद सेवाराम गलानी और सचिव मुरली सबनानी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है। एफ आई आर दर्ज होने के बाद क्षेत्र के लोगों ने दबी जुबान से यह भी कहना शुरू कर दिया के भवन अधिकारी तथा भवन निरीक्षक को क्यों बचाया गया उनको भी इस प्रकरण में षड्यंत्रकारी का आरोपी बनाया जा सकता है. नगर निगम प्रशासन ने इन दोनों निगम अधिकारियों को निलंबित करके अपना कर्तव्य निभा लिया जो न्याय उचित नहीं है .
.
पुलिस द्वारा दर्ज की इस एफआईआर की जानकारी पहले मीडिया को नहीं दी थी , जिसे मुख्यमंत्री के दौरे के बाद जाहिर किया गया क्योंकि मुख्यमंत्री दोषियों के खिलाफ़ कार्यवाही की घोषणा कर गए थे . वैसे तो नगर निगम के अधिकारी और इंजीनियर भी दूध के धुले नहीं हैं और शहर में कई अतिक्रमण, अवैध निर्माणों के वे भी दोषी हैं। मगर यह मामला चूंकि धार्मिक स्थल से जुड़ा है और कहीं पर भी कोई मंदिर, मस्जिद या अन्य स्थल हटाए ही नहीं जा सके हैं तो ये अवैध निर्माण कैसे हटता ? सड़क सहित अन्य जनहित निर्माणों में भी ये धार्मिक स्थल आज भी सभी जगह बाधा बने हुए हैं। फिलहाल तो चूंकि केन्द्र और राज्य में हिन्दू हितों के संरक्षण वाली ही सरकार है, जिसके चलते यह संभव ही नहीं है कि कोई अधिकारी या विभाग किसी मंदिर के अवैध निर्माण को हटाने की जुर्रत कर सकें . अभी जो हादसा हुआ उस श्री बेलेश्वर महादेव झुलेलाल मंदिर को भी नगर निगम ने कई नोटिस लगातार जारी किए। 23 अप्रैल 2022 को भवन अधिकारी झोन क्र. 18 ने जो नोटिस दिया उसमें स्पष्ट कहा गया कि गार्डन पर अवैध निर्माण कार्य किया जा रहा है, जिसे तुरंत हटाया जाए। नोटिस देने के बाद ना तो अतिक्रमण हटा ना हटाया और ना ही निगम अधिकारियों ने कोई कार्यवाही की. सूत्रों के मुताबिक इस नोटिस के 48 घंटे के भीतर ही 25.04.2022 को ट्रस्ट की ओर से अध्यक्ष सेवाराम गलानी, जो कि पूर्व भाजपा पार्षद है , के हस्ताक्षर के साथ भवन अधिकारी को जो जवाब दिया वह साफ जाहिर करता है कि इस हादसे के असल गुनाहगार और संरक्षक कौन है . अपने जवाब में ट्रस्ट ने निगम को लिखा है कि उनका नोटिस असत्य होकर अस्वीकार है .100 साल पुराने मंदिर में स्वयंभू रूप से भगवान शिव और अन्य देवी-देवता स्थापित हैं , लिहाज़ा मन्दिर के साथ बावड़ी का जीर्णोद्धार भी सार्वजनिक उपयोग हेतु प्रस्तावित है, जिससे जनता, निगम के साथ मंदिर को स्वच्छ व पर्याप्त जल उपलब्ध होगा . मंदिर जीर्णोद्धार के संबंध में असत्य जानकारी देकर ये नोटिस जारी कराया गया है , जो कि हिन्दू धर्म के सिद्धांतों के विपरित है और हिन्दुओं की भावनाओं को भड़काने का काम है, जिससे आसपास के रहवासियों और हिंदुओं में अशांति और भय का वातावरण उत्पन्न हो गया है और धार्मिक भावनाएं भड़कने की आशंका है। लिहाजा हिन्दू धर्म और हिन्दुओं की भावनाओं को देखते हुए मंदिर जीर्णोद्धार के काम में बाधा न पहुंचाकर उन्माद को फैलने से रोकने का काम करते हुए जारी नोटिस को नस्तीबद्ध कर मंदिर जीर्णोद्धार में सहयोग करें
सूत्रों के मुताबिक सांसद सहित भाजपा के आला नेताओं ने भी निगम पर दबाव बनाया और अवैध निर्माण नहीं हटने दिया, जिसके चलते हुए हादसे में 36 बेकसूर काल कवलित हो गए . मुख्यमंत्री अगर वाकई असल दोषियों को सजा दिलवाते हुए मृतक परिजनों को न्याय देना चाहते है तो उन नेताओं के खिलाफ़ भी प्रकरण दर्ज करवाए, जिन्होंने इस अवैध निर्माण को संरक्षण दिया, जो अब जगजाहिर भी है .

धर्म और राजनीति निगम अधिकारियों की सांठगांठ का गठजोड़ इन ऐसे हादसों का जिम्मेदार

अभी हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने हेट स्पीच के मामले में तीखी टिप्पणी करते हुए दो टूक कहा कि जबसे धर्म और राजनीति का गठजोड़ हुआ है , इस तरह के मामले देश भर में बढ़ गए हैं। इंदौर में जो बावड़ी की छत गिरने से 36 श्रद्धालुओं की मौत हुई है , उसकी असल जिम्मेदारी धर्म और राजनीति के निगम अधिकारियों की गठजोड़ को ही दी जा सकती है। ट्रस्ट ने निगम नोटिसों के जवाब में जो बात कही है वह इस पूरे मामले की कड़वी हकीकत है। जब भी धार्मिक स्थलों को हटाने या कोई कार्रवाई की बात आती है तो उससे जुड़े संगठन सामने आ खड़े होते हैं। ऐसे हालात में किसी भी विभाग या अधिकारी की हिम्मत नहीं होती आखिरकार निगम अधिकारी भी सांठगांठ करते हैं इसी का नतीजा 36 श्रद्धालुओं को अपनी जान गंवाना पड़ी . इस तरह का यह पहला हादसा नहीं है . देशभर में मंदिर व अन्य धार्मिक आयोजनों में भगदड़ मचने से लेकर कई घटनाएं हो चुकी हैं जो आगे भी जारी रहेगी, क्योंकि सत्ता हासिल करने के लिए धर्म और जाति के गठजोड़ से बढिय़ा कारगर उपाय हमारे राजनेताओं के पास दूसरा है भी नहीं . हालांकि घटना के बाद जिला प्रशासन की नींद खुली जिला प्रशासन ने न्यायिक जांच कराए जाने की घोषणा तथा रिपोर्ट 15 दिन में मांगी है.
कहीं ऐसा ना हो न्यायिक जांच भी उसी तर्ज पर सभी को क्लीन चिट भी दे दे जिस तर्ज पर कुछ वर्ष पूर्व मध्यप्रदेश के दतिया जिले के सिंध नदी के किनारे रतनगढ़ मंदिर पर घटना हुई थी.

About Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *