
मप्र में अगले महीने सँगठन और मंत्रिमंडल फेरबदल लगभग तय माना जा रहा है। खबर है कि कर्नाटक चुनाव के तत्काल बाद पार्टी हाईकमान का पूरा फोकस मप्र सहित तीन राज्यों पर होगा। पिछले दो महीने में पार्टी हाईकमान ने मप्र के प्रभारी और सह संगठन मंत्री सहित अपने सूत्रों से मप्र की जमीनी हकीकत का मूल्यांकन कर लिया है। इस दौरान प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने मप्र के दौरे पर कर लिये हैं। अब सँगठन व मंत्रिमंडल में फेरबदल के तय है। चर्चा है कि जिन मंत्रियों को अगला चुनाव नहीं लड़ाना है उन्हें कैबिनेट से बाहर कर दिया जाएगा। बड़ी संख्या में नये चेहरों को मौका मिल सकता है, सूत्रों अनुसार वर्तमान में विधायक संख्या के मुताबिक 34 मंत्री होने चाहिए परंतु 30 मंत्री है इसके बावजूद भी 70 से अधिक मंत्री दर्जा प्राप्त राजनेता है जल्दी ही मंत्री दर्जा प्राप्त राजनेताओं की 30 कीसंख्या बढ़ सकती है, जिससे जातीय समीकरणों के साथ वरिष्ठ नेताओं के समर्थकों को भी शामिल किया जा सकता है।
एक अन्य जानकारी मुताबिक प्रदेश भाजपा के ऐसे पद अधिकारी अथवा प्रवक्ता जो चुनाव लड़ने के लिए सर्वे और रिपोर्ट के आधार पर लगभग दौड़-धूप कर रहे हैं उनको तथा निष्क्रिय पदाधिकारियों को हटाया जाना तय माना गया है हालांकि सँगठन के अंदर एक गुट विशेष अध्यक्ष बीडी शर्मा को हटाकर किसी आदिवासी को अध्यक्ष बनाने में पैरवी कर रहा है उनका तर्क है कि आदिवासी को अध्यक्ष बनाए जाने से प्रदेश के 44 विधानसभा क्षेत्रों पर असर पड़ेगा अगर ऐसा हुआ तो सुमेर सिंह सोलंकी राज्यसभा सदस्य अध्यक्ष बन सकते हैं. सूत्रों अनुसार एक दर्जन मंत्रीयों की स्थिति चुनाव जीतने की नहीं अगर हाईकमान ने इसकी अनुमति दी तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इस फेरबदल में ऐसे मंत्रियों को बाहर कर सकते हैं.