अक्सर लोग शिवालयों में शिवलिंग पर खाली बेलपत्र चढ़ा देते हैं और मानते हैं कि पूजा हो गई. हालांकि, शिव भक्ति में नीयत और नियम का भेद नहीं होता, लेकिन शास्त्रों में शिव को खाली बेलपत्र अर्पित अशुभ माना गया है।
सावन का महीना शुरू हो गया है. शिवभक्त भगवान शंकर के शिवलिंग पर जलाभिषेक कर रहे हैं. सावन का महीना बहुत ही खास माना जाता है. इस वर्ष सावन का महीना 2 माह का है. धार्मिक मान्यता के अनुसार सावन के माह में भगवान को जलाभिषेक के समय बेलपत्र चढ़ाने का विशेष महत्व है, लेकिन क्या आप जानते हैं बेलपत्र अर्पित करते समय कुछ खास नियमों का पालन करना जरूरी होता है।
धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक बेलपत्र चढ़ाने के कई नियम बताए गए हैं. भगवन पर ऐसे ही नहीं बेलपत्र अर्पित कर देना चाहिए. बताया कि यदि नियम से बेलपत्र चढ़ाया जाए तो महादेव अति प्रसन्न होते हैं.
बेलपत्र चढ़ाने के नियम
– बेलपत्र कटा या फटा नहीं होना चाहिए.
– बेलपत्र में तीन पत्तियां एक साथ होनी चाहिए.
– सावन के महीने में 11, 21, 51 और 101 बेलपत्र चढ़ाते हैं तो भगवान शंकर जल्द प्रसन्न होंगे.
– कभी भगवान शंकर को खाली बेलपत्र अर्पित न करें.
– बेलपत्र के साथ जल की धारा जरूर होनी चाहिए. यानी एक लोटा जल में आप बेलपत्र को डाल सकते हैं. जल अर्पण के बाद बेलपत्र शिव पर चढ़ा सकते हैं।