
पेरिस ओलंपिक में भारत की स्टार महिला पहलवान विनेश फोगाट में कल शुक्रवार को सुनवाई होगी विनेश फोगाट को साजिशन अयोग्य करार दिए जाने के खिलाफ CAS (Court of Arbitration for Sport) में अपील दायर की गई थी जिसने की वह वो खिलाड़ी थी जिससे विनेश फोगाट का फाइनल में मुकाबला होना था वो खिलाड़ी आगे आई और विनेश के साथ हुई गंदी साजिश के खिलाफ न्यायालय में अपील की जिसे सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया गया है इसमें उन्होंने विनेश फोगाट को संयुक्त रूप से सिल्वर मेडल दिए जाने की मांग की है। सुनवाई के लिए खेल मामलों की कोर्ट ने भारत सरकार से मामले के लिए एक वरिष्ठ वकील को नियुक्त करने की मांग की गई है, जो विनेश का पक्ष रखेंगे और मांग करेंगे कि उन्हें संयुक्त सिल्वर मेडल दिया जाए. सुनवाई भारतीय समयानुसार दोपहर करीब 1:30 बजे होगी।
दिनाक 7 अगस्त : विश्व पटल पर कैसे हार गई कुश्ती

सिटी टुडे के लिए प्रथपाल सिंह की विशेष रिपोर्ट। एक खेल है “कुश्ती”, भारत जो ग्रामीण क्षेत्रों में बसता है इन क्षेत्रों के लगभग प्रत्येक किशोर, युवा, बुजुर्ग वर्ग के लोगों में जितना उत्साह क्रिकेट के लिए रहता है उससे कई गुना अधिक कुश्ती का खेल देखने, कुश्ती लड़ने में रहता है यही कारण है कि राजा महाराजों के समय से दंगल होते आए हैं और आज भी दंगल देखने बिना प्रचार प्रसार के साधारण मैदान पर भी खासी कुश्ती प्रेमियों की भीड़ एकत्रित हो जाती है भले ही कितनी ही दूर न जाना पड़े चाहे चिलचिलाती धूप ही क्यों न हो कुश्ती देखने वाले परवाह नहीं करते। कुश्ती खेलने दंगल में पूरे भारत के पहलवान बुलाए जाते हैं हालांकि ये सच है कि कुश्ती में क्रिकेट जैसा न तो ग्लैमर है न पैसा लेकिन फिर भी पहलवान अपनी खुराक जितना और परिवार के भरण पोषण जितना कमा ही लेते हैं कुछ विरले ही होते हैं जो विषम परिस्थितियों के बावजूद देश के लिए खेलते हुए उम्दा प्रदर्शन करते हुए एक के बाद एक कई मेडल्स देश के नाम अर्जित ले आते है देश का नाम विश्व पटल पर रोशन करते हुए प्रत्येक भारतीय की रूह को सुकून देते है जो तिरंगा को विश्व पटल पर सदैव लहराते हुए देखना पसंद करते है ऐसे विरले पहलवानों को देश की, राज्य की सरकारे उपहार स्वरूप ठीकठाक राशि और बड़ी भारतीय कंपनियां अपने विज्ञापनों के लिए अनुबंधित कर लेती हैं लेकिन कुश्ती जैसे शानदार खेल को कभी ग्लैमर नहीं मिल सका शायद यही कारण है कि शहरवासियों को इस खेल में रुचि नहीं रहती।
आज कुश्ती की हम बात तो कर रहे है लेकिन बेहद भारी मन से, लेखनी पर मनोदशा प्रभावी भी है। विश्व पटल पर देश का तिरंगा लहराने वाली की महिला पहलवान विनेश फोगाट को कल ओलंपिक में 50kg कुश्ती मुकाबले से अप्रत्याशित तरीके से बाहर कर भारत को अपमानित किया गया है। कारण बताया गया की उनके शरीर में 100ग्राम वजन अधिक है जिसके चलते 50kg मुकाबले में वो लड़ नहीं सकती।

ऐसा तब हुआ जब इस मुकाबले से ठीक पहले अब तक हमेशा अविजित रही महिला पहलवान जिसको भारत की विनेश फोगाट ने पटखनी देते हुए विजय प्राप्त कर भारत में खूब वाहवाही लूटी लेकिन उंगली पर गिने जा सकने वाले चंद घंटे ही बीते थे कि 50kg के ही इस मुकाबले से 100 ग्राम वजन अधिक बताकर बाहर किया गया, स्पोर्टिंग टीम और भारतीय दल ने कोई आपत्ती दर्ज न की कि जानकारी निकल कर यह भी आई हैं कि आखिर क्यों नियत समय से पूर्व विनेश फोगाट का वजन किया गया जबकि उन्हें टॉयलेट तक जाने न दिया गया, एक स्टील का गिलास में लगभग 200ग्राम पानी आता है अर्थात् लगभग आधा गिलास पानी बराबर वजन टॉयलेट जाने देकर क्या वजन बराबर न होता।
बाकी की सब जानकारी खुद विनेश फोगाट के ट्वीट से निकल बाहर आई है और सोशल मीडिया के माध्यम से भारतीयों के दिलों को दर्द दे रही है और मीडिया का एक बड़ा वर्ग राजनीतिक आरोप प्रत्यारोप में व्यस्त है वहीं असहनीय मानसिक पीड़ा के चलते देश की दबंग महिला पहलवान ने अपने कुश्ती कैरियर को अलविदा कहकर उन सभी को खुश भी कर दिया जो परेशान थे कि विनेश ने क्यों आंदोलन किया था अब भुगते।


