सिटी टुडे। ग्वालियर चंबल अंचल में देशभर में शिक्षा के क्षेत्र में अलग पहचान रखने वाला डीपीएस स्कूल जिसका प्रबंधन कांग्रेस नेत्री अर्चना डालमिया के परिजनों के पास है और प्रबंधन की गलत नीतियों के कारण देशभर में इस विद्यालय की छवि निरंतर धूमिल होती जा रही है।
आज हम पाठकों को अवगत कराना चाहते हैं कि 2006 से अर्चना डालमिया द्वारा ग्वालियर के एक सुप्रसिद्ध चिकित्सक से मिलकर डीपीएस विद्यालय रायरु में शुरू किया गया था उच्च वर्ग के लोगों तथा उच्च वर्ग के अधिकारियों की होनहार संताने ही इस विद्यालय में उच्च डोनेशन देकर प्रवेश ले सके। लगभग 5 साल तक विद्यालय सुचारू रूप से संचालित होता रहा अचल में एक इसकी अलग पहचान भी बनी परंतु दिल्ली प्रबंधन की आपाधापी व गलत नीतियों के कारण पहले दोनों के बीच में पुलिस थाने से लेकर उच्चतम न्यायालय तक कानूनी संघर्ष पहुंचा जो अभी भी जारी है दिल्ली प्रबंधन अपनी इस निजी लड़ाई को छात्रों से मिलने वाली फीस के सहारे महंगे उच्चकोटि के वकीलों को दिल्ली प्रबंधन दे रहा है जिसका शिकार स्थानीय अध्यापक, कर्मचारी तथा छात्र-छात्राएं होने के साथ विद्यालय से अनुबंधित ठेकेदार भी बेहाल हो रहे हैं।
प्राप्त जानकारी अनुसार स्थानीय स्तर पर कांग्रेस के एक युवा पूर्व विधायक की दम पर, धोंस के सहारे दिल्ली प्रबंधन अपने स्तर पर इस मामले को दबाने की जुगत में लगा हुआ है।
सूत्रों अनुसार विद्यालय के कर्मचारी, अध्यापक महीनो से वेतन न मिलने के कारण नौकरी छोड़कर निरंतर जा रहे हैं, छात्रों के लिए अनुबंधित बस वाहन के ठेकेदार को भी छात्रों से ट्रांसपोर्टेशन फीस वसूल करने के बाद भी ठेकेदार को नहीं दी जा रही। बताया जाता है यह राशि 3 से 4 करोड रुपए है ठेकेदार पर दबाव बनाया जा रहा है वाहन नये लिए जाएं अनुबंध ठेकेदार द्वारा जब अपनी बकाया राशि लेने के लिए दबाव बनाया गया तो उसको पूर्व कांग्रेस विधायक के आक्रोश का शिकार होना पड़ा.
कुल मिलाकर रायरु विद्यालय के छात्र-छात्राओं का भविष्य अंधकार मे है, अभिभावक अपने आप को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं क्योंकि वह पूरे साल की एक साथ फीस दे चुके हैं दिल्ली प्रबंधन ने अपने हाथ खड़े कर दिए कर्मचारी अध्यापक अपने वेतन की बकाया राशि लेने के लिए दिल्ली प्रबंधन से मिलने जाते हैं तो उनसे मुलाकात नहीं हो पाती तथा कहा जाता है स्थानीय संचालक नेहा शर्मा की बात करो नेहा शर्मा द्वारा तथा उसकी अधीनस्थ कर्मचारी अध्यापकों को ही नहीं अभिभावकों को भी कांग्रेस के पूर्व युवा विधायक के रसूख का हवाला देते हुए भयभीत किया जा रहा है।
विद्यालय बन्द की कगार पर होने से छात्र-छात्राओं को विद्यालय में ऑनलाइन पढ़ाई कराई जा रही है वह भी अनियमित रूप से छात्र-छात्राएं व उनके अभिभावक भविष्य को लेकर चिंतित होने के साथ परेशान है अधिकतर कर्मचारी अध्यापक अनुबित ठेकेदार तथा उनके कर्मचारी भुखमरी की कगार पर है परंतु कांग्रेस नेत्री अर्चना डालमिया के परिजनों पर कोई असर नहीं क्या मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव जनहित में इस मुद्दे पर कोई सख्त कदम उठा सकेंगे।