ग्वालियर: प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के माधवगंज स्थित प्रभुउपहार भवन में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के पावन अवसर पर बाल कलाकारों ने श्रीकृष्ण जी की बाल लीलाओं का मंचन किया गया साथ ही अन्य सांस्कृतिक प्रस्तुतियां भी दी गयीं ।
कार्यक्रम के शुभारंभ में केंद्र की मुख्य प्रभारी बीके आदर्श दीदी ने सभी को जन्माष्टमी की शुभकामनायें दी। और जन्माष्टमी का आध्यात्मिक रहस्य स्पष्ट करते हुए कहा कि एक समय था जब भारत भूमि पर स्वर्णिम दुनिया थी जहां पर सर्वगुण सम्पन्न, सोलह कला सम्पूर्ण श्रीकृष्ण जी का सुंदर राज्य था। सम्पूर्ण सुख शांति थी। जहाँ पर हर मनुष्य देवी और देवताओं के रूप में थे। हम सबको भी भगवान श्री कृष्ण जी से सीख लेकर अपने जीवन को दिव्यगुणो से सुसज्जित करना होगा, तो शीघ्र ही स्वर्णिम दुनिया इस धरती पर आ जायेगी। वर्तमान समय परमपिता परमात्मा शिव ऐसी सुंदर दुनिया लाने के लिए मनुष्य से देव बनाने की पढ़ाई पढ़ा रहे है। हमें अपना कार्य व्यवहार करते हुए थोड़ा समय निकालकर इस पढ़ाई को अवश्य पढ़ना चहिए। तो हमारा वर्तमान जीवन अच्छा बन जायेगा और भविष्य भी अच्छा बन जायेगा। दीदी ने आगे कहा कि भगवान श्रीकृष्ण जी का जन्मोत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। यहाँ तक कि अधिकतर माता-पिता अपने घर के छोटे बच्चे को श्रीकृष्ण के रूप में सजाते है। वास्तव में श्रीकृष्ण का सौंदर्य मन को मोह लेता है। जन्माष्टमी के दिन जिस बच्चे को मोर मुकुट पहनाकर, मुरली हाथ में देते हैं। तो लोगों का मन उस समय उस बच्चे के नाम, रूप को भूल कर कुछ क्षणों के लिए श्रीकृष्ण की ओर आकर्षित हो जाता है। दीदी जी ने बताया कि सुंदरता तो आज भी बहुत लोगों में पाई जाती है परंतु श्रीकृष्ण सर्वांग सुंदर थे, सर्वगुण सम्पन्न, सोलह कला सम्पूर्ण थे। ऐसे अद्भुत सौंदर्य तथा गुणों के कारण ही भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति भी मन को मोहने बाली बन जाती है। श्रीकृष्ण जी मर्यादा पुरूषोत्तम थे, जिनके चित्र को देखते ही नयन शीतल हो जाते हैं। यदि वे वास्तविक साकार रूप में आ जाएँ तो कितना सुखमय, आनंदमय संसार हो जाएगा। ऐसी दुनिया यदि हम चाहते है तो खुद भी जीवन को दिव्यगुणो से सुसज्जित करें और अपने बच्चों को भी दिव्यगुण धारण करने के संस्कार दें। क्योकि शीघ्र ही ऐसी सुंदर दुनिया इस धरती पर आने वाली है।
कार्यक्रम में बीके प्रहलाद भाई ने श्रीकृष्णा जन्माष्टमी की शुभकामनायें दी और कहा कि आज के इस पावन अवसर पर हमें अपने अंदर की कमियों, अवगुणों को निकाल दिव्यगुण जैसे हर्षितमुखता, सरलता, मधुरता, नम्रता, सहनशीलता, धैर्यता, पवित्रता, गुण ग्राहकता, समरसता, सरलता आदि को धारण करने का संकल्प लेना चाहिए। तो हमारा वर्तमान और भविष्य सुन्दर होगा।
इस अवसर पर बाल कलाकार सृष्टि, पूर्वी, खुशी, पिहु, तन्वी, नंदिनी, पावनी, मुस्कान, निहारा, मिष्ठी, श्रेष्ठा, संकल्प सहित रचना चौरसे आदि ने श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का सुंदर मंचन कर सभी का मन मोहा।
कार्यक्रम का कुशल संचालन बीके ज्योति बहन के द्वारा किया गया। इस अवसर पर अनेकानेक गणमान्य नागरिक सहित सैकड़ों श्रद्धालु उपस्थित थे।