सिटी टुडे। जी हां जलेबी सिर्फ एक मिठाई मात्र ही नहीं है बल्कि एक आयुर्वेदिक औषधि भी है। वैसे तो जलेबी एक राजशाही मिठाई पकवान है जिसे दूध, दही और रबड़ी से खाया जाता है।
माइग्रेन के लिए सूर्योदय से पहले दूध जलेबी खाने को आयुर्वेद में लिखा है
जलेबी एक भारतीय व्यंजन है जो की जलोदर नामक बीमारी का इलाज में प्रयोग की जाती थी। इसके अतरिक्त सुबह खाली पेट दूध जलेबी खाने से वजन और लम्बाई बढ़ाने के लिए किया जाता था।
आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा लिखित देवी पूजा पद्धति में भगवती को हरिद्रान पुआ जलेबी भोग लगाने के विषय में लिखा है
ग्रह शांति अथवा ईश्वर का भोग में जलेबी से, जलेबी माता भगवती को भोग में चढ़ाने की प्रथा है।
इमरती जो की उडद दाल से बनती है वो शनिदेव के नाम पर हनुमान जी या पीपल वृक्ष या शनि मंदिर में चढ़ाने काले कौवा और कुत्ते को खिलाने से शनि का प्रभाव कम होता है।
जलेबी बनाने की विधि
हमारे प्राचीन ग्रंथ में जलेबी बनाने की विधि #संस्कृत भाषा में लिखी है साथ ही जलेबी बनाने की विधि पुराणों में भी है इसे रस कुंडलिका नाम दिया है भोज कुतुहल में इसे जल #वल्लीका नाम दिया है गुण्यगुणबोधिनी’ में भी जलेबी बनाने की विधि लिखी है। सबसे बड़ी बात की जलेबी कुंडली के आकार की की होती है जिसका संबंध आंतो से है कब्ज का ये #रामबाण इलाज है ।