सिटी टुडे। मध्य प्रदेश का चंबल अंचल जी हां चंबल अंचल यह वहीं चम्बल है जिसके नाम श्रवण मात्र से बीहड़, बंदूकें और बागी आंखों के सामने स्वत: दिखने लगते थे दरअसल मान्यता है कि चंबल की माटी और चंबल का पानी ही ऐसा है कि जो यहां पैदा हुआ और चंबल का पानी पिया उसके खून में बागी खून प्रवाहित होने लगता है फिर वह अन्याय और जुल्म के खिलाफ हाथ में बंदूक लेकर बीहड़ में चल पड़ता है इसीलिए कुछ समय पहले तक चंबल कुख्यात डकैतों के नाम से देशभर में विख्यात रही लेकिन समय ने करवट ली और धीरे धीरे चंबल के सपूतों ने चंबल का मान सम्मान देश में बढ़ा रहे हैं, लेकिन वहीं दूसरी तरफ नकली का गोरखधंधा करने वाले मिलावटखोर माफियाओं ने देशभर में चंबल को बदनाम करने का बीड़ा उठा लिया है और धडल्ले से पूर्ण निडरता के साथ खुलेआम दबंगई से नकली का गोरखधंधा कर सोना काट रहे है और लोगों को अकाल मृत्यु बेच रहे है।
दरअसल ग्वालियर भिण्ड मुरैना के कई गांवों में अलग अलग मामले अक्सर सामने आते है नकली दूध, नकली पनीर, नकली तेल, नकली घी और नकली मावा, नकली मिठाई का गोरखधंधा यहां धड़ल्ले से चलता है त्योहारी सीजन में जरूर प्रशासन दोएक छापे मारकर खानापूर्ति की कार्यवाही करते हुए अपनी ड्यूटी सालभर की एकसाथ कर लेता है लेकिन ये सब नकली पदार्थ खरीदकर खाने वाले अनजाने में अकाल मृत्यु खरीदकर घर ले आते हैं और धीरे धीरे कैंसर, अल्सर, टीबी जैसी बीमारियों से पीड़ित होते जा रहे हैं।
रिफाइंड पामोलिव तेल की मिक्सिंग मशीन से पनीर का घोल तैयार कर नकली पनीर बनाया जाता है। इसी तरह नकली मावा भी बनाया जाता है और फिर परिवहन माफियाओं से सांठ गांठ कर देशभर में कैंसर बीमारी की सप्लाई करते है और मोटा मुनाफा कमाते है।