राष्ट्र की एकता, आर्थिक प्रगति और सांस्कृतिक ताने-बाने में उत्तर-पूर्व का योगदान महत्वपूर्ण- उपराष्ट्रपति
लुक ईस्ट और एक्ट ईस्ट नीति के परिणामस्वरूप क्षेत्र में तेज़ी से विकास हुआ- उपराष्ट्रपति
सार्वजनिक मंचों पर भ्रामक जानकारी को प्रसारित करने की अनुमति नहीं दी जा सकती- उपराष्ट्रपति
राष्ट्र के प्रति अपनी बुनियादी प्रतिबद्धता को नज़रअंदाज़ करने का जोखिम नहीं उठा सकते हम- उपराष्ट्रपति
उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने आज टिप्पणी करते हुए कहा कि “उत्तर-पूर्व देश के विकास के रडार पर है।” उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि राष्ट्र की एकता, आर्थिक प्रगति और सांस्कृतिक सार में उत्तर-पूर्व का महत्वपूर्ण योगदान है। उत्तर-पूर्व को हमारे देश के एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्से के रूप में स्वीकार करते हुए श्री धनखड़ ने ‘लुक ईस्ट एवं एक्ट ईस्ट नीति’ की सराहना की जिसके परिणामस्वरूप क्षेत्र में संचार, कनेक्टिविटी और हवाई अड्डों के विकास में तेज़ी आई है।
अज्ञानता और भ्रामक आख्यानों पर चिंता व्यक्त करते हुए उपराष्ट्रपति ने सवाल किया कि क्या सार्वजनिक मंचों पर भ्रामक जानकारी फैलाने की अनुमति दी जानी चाहिए। उन्होंने आगे प्रश्न किया कि क्या हम अपने राष्ट्र के प्रति अपनी बुनियादी प्रतिबद्धता को नजरअंदाज़ कर सकते हैं। उन्होंने युवाओं को जागरूक करते हुए ज़ोर देकर कहा कि भारत अविभाज्य है और प्रगति के पथ पर अग्रसर है। श्री धनखड़ ने युवाओं का आह्वान करते हुए उनको 2047 के विकसित भारत बनाने की राह में बेहद महत्वपूर्ण योगदानकर्ता और हितधारक बताया।
आज शिलांग में मेघालय कौशल और नवाचार केंद्र के शिलान्यास समारोह में सभा को संबोधित करते हुए, उपराष्ट्रपति ने ज़ोर देकर कहा कि कौशल को न तो खोजा जाता है और न ही नवीनीकृत किया जाता है। यह व्यक्ति द्वारा एक विशिष्ट क्षेत्र में प्रतिभा का दोहन है जो मानव संसाधन को गुणात्मक रूप से अत्याधुनिकता प्रदान करता है। उन्होंने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि कौशल अब एक गुणवत्ता नहीं है, यह हमारी जरूरत है।
उपराष्ट्रपति ने एक कौशल विकास को समर्पित कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय के गठन और पांच साल की अवधि में 5 लाख युवाओं की इंटर्नशिप के लिए 60,000 करोड़ रुपये के आवंटन पर भी प्रकाश डाला, उन्होंने कहा कि गांवों और अर्ध-शहरी कस्बों को कौशल केंद्रों का केंद्र होना चाहिए।
मेघालय में अपने अनुभव पर उपराष्ट्रपति ने कहा, “अगर कहीं स्वर्ग है तो वह भारत में है, अगर कोई दिव्य चेतना है तो वह मेघालय में है।” उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि मेघालय की अर्थव्यवस्था का इंजन अकेले पर्यटन द्वारा संचालित किया जा सकता है। उन्होंने आगे कहा कि प्रकृति ने मेघालय को भरपूर उपहार दिया है और उनसे मानव संसाधन के रूप में बहुत प्रतिभाशाली कुशल लोगों के माध्यम से इसका पूरा फायदा उठाने का आग्रह किया।
इस कार्यक्रम के मौके पर मेघालय के राज्यपाल श्री सी.एच. विजयशंकर, मेघालय के मुख्यमंत्री श्री कॉनराड के संगमा, कैबिनेट मंत्री डॉ. माज़ेल अम्पारीन लिंगदोह, मेघालय सरकार के मुख्य सचिव श्री डोनाल्ड फिलिप्स वाहलांग एवं अन्य गणमान्य सदस्य भी उपस्थित रहे।